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समवानो
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प्रकीर्णक समवाय : सू० ७२-८०
७२. इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए अस्याः रत्नप्रभायाः पृथिव्याः रत्नस्य ७२. इस रत्नप्रभा पृथ्वी के रत्नकांड के
रयणस्स कंडस्स उरिल्लाओ काण्डस्य उपरितनात चरमान्तात् उपरितन चरमान्त से पुलककांड के चरिमंताओ लगस्स कंडस्स पूलकस्य काण्डस्य अधस्तनं चरमान्तं, नीचे के चरमान्त का व्यवधानात्मक हेट्रिल्ले चरिमंते, एस णं सत्त एतत सप्तयोजनसहस्राणि अबाधया अन्तर सात हजार योजन का है। जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे अन्तरं प्रज्ञप्तम् । पण्णत्ते।
७३. हरिवास-रम्मया णं वासा हरिवर्ष-रम्यकौ वर्षे अष्ट (अष्ट ?) ७३. हरिवर्ष और रम्यकवर्ष का विस्तार
अट्ठ-(अट्ठ ?) जोयणसहस्साई योजनसहस्राणि सातिरेकाणि विस्तरेण साधिक आठ-आठ हजार योजन का साइरेगाइं वित्थरेणं पण्णत्ता। प्रज्ञप्ती।
है।
७४. दाहिणड्ढभरहस्स णं जीवा दक्षिणार्द्धभरतस्य जीवा प्राचीन- ७४. दक्षिणार्ध भरत की जीवा पूर्व-पश्चिम
णायया दहओ समूह प्रतीचीनायता द्विधातः समुद्रं स्पृष्टा नव दिशा की ओर लम्बी और दोनों ओर पुट्ठा नव जोयणसहस्साई योजनसहस्राणि आयामेन प्रज्ञप्ता। से समुद्र का स्पर्श करती हुई नौ हजार आयामेणं पण्णत्ता।
योजन लम्बी" है।
७५. मंदरे णं पव्वए धरणितले दस मन्दरः पर्वतः धरणीतले दश
जोयणसहस्साई विक्खंभेणं योजनसहस्राणि विष्कम्भेण प्रज्ञप्तः। पण्णते।
७५. मन्दर पर्वत धरणीतल पर दस हजार
योजन चौड़ा है।
७६. जंबदीवेणं दीवे एग जम्बद्रीपः द्वीपः एक योजनशतसहस्राणि ७६. जम्बूद्वीप द्वीप एक लाख योजन लम्बाजोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं आयामविष्कम्भेण प्रज्ञप्तः।
चौड़ा है। पण्णत्ते।
७७. लवणे णं
जोयणसयसहस्साई विक्खंभेणं पण्णत्ते।
चक्कवाल
लवणः समुद्रः द्वे योजनशतसहस्राणि ७७. लवण समुद्र का चक्रवाल-विष्कभ चक्रवालविष्कम्भेण प्रज्ञप्तः ।
(गोलाई) दो लाख योजन का है।
७८. पासस्स णं अरहओं तिणि पार्श्वस्य अर्हतः तिस्रः शतसाहस्रयः ७८. अर्हत् पार्श्व के उत्कृष्ट श्राविका
सयसाहस्सोओ सत्तावास च सप्तविंशतिश्च सहस्राणि उत्कृष्टा सम्पदा तीन लाख सत्ताईस हजार सहस्साई उक्कोसिया साविया- श्राविका-सम्पद् आसीत् ।
श्राविकाओं की थी। संपया होत्था।
७६.घायसंडे णं दीवे चत्तारि धातकीषण्डः द्वीपः चत्वारि ७६. धातकीषंड द्वीप का चक्रवालविष्कभ
जोयणसयसहस्साइं चक्कवाल- योजनशतसहस्राणि चक्रवालविष्कम्भेण चार लाख योजन का है। विक्खंभेणं पण्णत्ते।
प्रज्ञप्तः ।
८०. लवणस्स णं समुदस्स लवणस्य समुद्रस्य पौरस्त्यात्
पुरथिमिल्लाओ चरिमंताओ चरमान्तात् पाश्चात्यं चरमान्तं, एतत् पच्चथिमिल्ले चरिमंते, एस णं पञ्च योजनशतसहस्राणि अबाधया पंच जोयणसयसहस्साई अबाहाए अन्तरं प्रज्ञप्तम् । अंतरे पण्णते।
८०. लवण समुद्र के पूर्वी चरमान्त से
पश्चिमी चरमान्त का व्यवधानात्मक अन्तर पांच लाख योजन का है।
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