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समवायो
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समवाय ७२ : टिप्पण
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति (२/६४) में बहोत्तर कलाओं का उल्लेख है। वृत्तिकार ने उनका विवरण इस प्रकार प्रस्तुत किया है१. लेख-अक्षर-विन्यास की कला। (देखें-लेख शब्द का टिप्पण) २. गणित-जोड़, बाकी आदि पाटीगणित । ३. रूप-शिला, सुवर्ण, मणि, वस्त्र, चित्र आदि में विभिन्न रूपों का निर्माण । ४. नाट्य--अभिनययुक्त और अभिनयरहित नाट्य । ५. गीत-गान विज्ञान । ६. वादित-तत, वितत आदि वाद्यविज्ञान । ७. स्वरगत-षड्ज, ऋषभ, गान्धार आदि स्वर विज्ञान, जो संगीत के मूलभूत तत्त्व हैं। ८. पुष्करगत-मृदंग, अंग्य आदि वाद्य विषयक विज्ञान । ये संगीत के परम प्रधान अंग हैं, इसलिए इनका वाद्य से भिन्न
कथन किया गया है। ६. समताल-गीत आदि का कालमान 'ताल' कहलाता है। ताल संबंधी सम-विषम काल का ज्ञान कराने वाला विज्ञान । १०. द्यूत-द्यूतकला। ११. जनवाद-विशेष प्रकार का द्यूत । १२. पाशक-पाशाओं से खेला जाने वाला द्यूत । १३. अष्टापद-शतरंज खेलने का विज्ञान । १४. पुरःकाव्य-आशु कविता का विज्ञान । १५. दमकमृत्तिका-जल-शोधन का विज्ञान । १६. अन्नविधि-अन्न-संस्कार का विज्ञान । १७. पानविधि-जल-संस्कार विज्ञान, अथवा जलपान के गुणों और दोषों का विज्ञान ।
जैसे-भोजन के बीच जलपान अमृत होता है और भोजन के अन्त में जलपान विष होता है। १८. वस्त्रविधि-वस्त्र पहनने का विज्ञान। वस्त्र के दैविक आदि नौ कोण होते हैं। उनको कहां-कैसे धारण करने का
विज्ञान। १६. विलेपनविधि-यक्षकर्दम-कपूर, अगरु, कंकोल । कस्तूरी और चंदन आदि गन्ध-द्रव्यों के मिश्रण का विज्ञान । २०. शयनविधि-राजा, राजपुत्र, मंत्री, सेनापति, पुरोहित आदि का शय्या-विज्ञान अथवा स्वप्न विज्ञान । २१. आर्या-मात्राछंद के निर्माण का विज्ञान । २२. प्रहेलिका-गूढ आशय वाले पद्यों के निर्माण का विज्ञान । २३. मागधिका-मागधिका छन्द में पद्य-निर्माण का विज्ञान । २४. गाथा-संस्कृत से भिन्न भाषाओं में निबद्ध आर्या छन्द के निर्माण का विज्ञान । २५. गीतिका-जिसमें पहला-दूसरा चरण सदृश और तीसरा-चौथा चरण आर्या छंद का हो, उसे गीतिका कहते हैं।
उसके निर्माण का विज्ञान । २६. श्लोक-अनुष्टुप् श्लोक-निर्माण का विज्ञान । २७. हिरण्ययुक्ति-चांदी को यथास्थान योजित करने का विज्ञान । २८. स्वर्णयुक्ति-स्वर्ण को यथास्थान योजित करने का विज्ञान । २६. चूर्णयुक्ति विविध गंधचूर्णों के निर्माण का विज्ञान । ३०. आभरणविधि-आभूषण बनाने या पहनने का विज्ञान । ३१. तरुणीपरिकर्म-स्त्रियों की प्रसाधन कला, जिससे उनके अवयवों के वर्ण आदि सुन्दर बनते हों। ३२. स्त्रीलक्षण-सामुद्रशास्त्रोक्त स्त्रीलक्षण विज्ञान । ३३. पुरुषलक्षण–सामुद्रशास्त्रोक्त पुरुषलक्षण विज्ञान । ३४. हयलक्षण-घोड़े के लक्षणों को जानने का विज्ञान । ३५. गजलक्षण-हाथी के लक्षणों को जानने का विज्ञान ।
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