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________________ मूल १. धायइसंडे णं दीवे चक्क वट्टविजया हाणीओ पण्णत्ताओ। ६८ अट्ठसट्ठिमो समवाश्रो : अड़सठवां समवाय संस्कृत छाया अट्ठर्साट्ठ धातकीषण्डे द्वीपे अष्टषष्ठिः चक्रवत्तिविजया : अष्टषष्ठिः राजधान्यः अट्ठर्साट्ठ प्रज्ञप्ताः । २ धायइसंडे णं दोवे उक्कोसपए अट्ठट्ठ अरहंता समुपज्जसु वा समुपज्जेति वा समुपज्जि संति वा । ३. एवं चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा । एवं चक्रवत्तिनः बलदेवाः वासुदेवाः । ६. एवं चक्कट्टी वासुदेवा । ४. पुक्खरवरदीवड्ढे णं अट्ठर्साट्ठ पुष्करवरद्वीपाद्ध अष्टषष्ठिः चक्रवत्तिarrafविजया अट्ठर्साट्ठ विजयाः अष्टषष्ठिः राजधान्यः यहाणीओ पण्णत्ताओ । प्रज्ञप्ताः । ५. पुक्खरवरदीवड्ढे णं उक्कोसपए अट्ठर्साट्ठ अरहंता समुपज्जसु जे समुपज्जिस्संति वा । वा वा धातकीषण्डे द्वीपे उत्कर्षपदे अष्टषष्ठिः अर्हन्तः समुदपदिषत वा समुत्पद्यन्ते वा समुत्पत्स्यन्ते वा । Jain Education International पुष्करवरद्वीपाद्ध उत्कर्षपदे अष्टषष्ठिः अर्हन्तः समुदपदिषत वा समुत्पद्यन्ते वा समुत्पत्स्यन्ते वा । बलदेवा एवं चक्रवत्तिनः बलदेवाः वासुदेवाः । ७. विमलस्स णं अरहओ अट्ठर्साट्ठ विमलस्य अर्हतः अष्टषष्ठिः समणसाहसीओ उक्कोसिया श्रमणसाहस्य: उत्कृष्टा श्रमणसम्पद् समणसंपया होत्या । आसीत् । For Private & Personal Use Only हिन्दी अनुवाद १. धातकीखंड द्वीप में चक्रवत्तियों के अड़सठ विजय और अड़सठ राजधानियां हैं । २. धातकीखंड द्वीप में उत्कृष्टतः अड़सठ अहंत् उत्पन्न हुए थे, होते हैं और होंगे । ३. इसी प्रकार चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव भी अड़सठ अड़सठ उत्पन्न हुए थे, होते हैं और होंगे ।' ४. अर्द्ध पुष्करवरद्वीप में चक्रवत्तियों के अड़सठ विजय और अड़सठ राजधानियां हैं। ५. अर्द्धपुष्करवरद्वीप में उत्कृष्टत अड़सठ अर्हत् उत्पन्न हुए थे, होते हैं और होंगे । ६. इसी प्रकार चक्रवर्ती, बलदेव और वासुदेव भी अड़सठ - अड़सठ उत्पन्न हुए थे, होते हैं और होंगे। ७. अर्हत् विमल के उत्कृष्ट श्रमण-सम्पदा अड़सठ हजार श्रमणों की थी। www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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