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________________ मूल १. दाहिणड्ढमणुस्सखेत्ता णं छाट्ठ चंदा पभासेंसु वा पभासेंति वा पभासिस्संति वा, छार्वाट्ठ सूरिया तवसु वा तवेति वा तविस्संति या । ६६ छावट्ठिमो समवा : छासठवां समवाय २. उत्तरड्ढमणुस्सखेत्ता णं छार्वाट्ठ औत्तरार्द्धमनुष्यक्षेत्राः षट्षष्ठिः चन्द्राः चंदा पभासु वा पभासेति वा प्राभाषित वा प्रभासन्ते वा पभासिस्संति वा, छाट्ठ सूरिया प्रभासिष्यन्ते वा षट्षष्ठिः सूर्याः तवसु वा तवेंति वा तविस्संति अतपन् वा तपन्ति वा तपिष्यन्ति वा । वा । ३. सेज्जंसस्स णं अरहओ छाट्ठ गणा छाट्ठ गणहरा होत्था । ४. आभिणिबोहियाणस्स उक्कोसेणं छार्वाट्ठ सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता । Jain Education International संस्कृत छाया दाक्षिणार्द्धमनुष्यक्षेत्राः षट्षष्ठिः चन्द्राः प्राभासिषत वा प्रभासन्ते वा प्रभासिष्यन्ते वा, षट्षष्ठिः सूर्याः अतपन् वा तपन्ति वा तपिष्यन्ति वा । श्रयांसस्य अर्हतः षट्षष्ठिः गणाः षट्षष्ठिः गणधराः आसन् । णं आभिनिबोधिकज्ञानस्य षट्षष्ठि प्रज्ञप्ता । टिप्पण १. छासठ चन्द्र छासठ सूर्य (छावट्ठ चंदा छाट्ठ सूरिया) १. समवायांगवृत्ति, पत्र ७४ । जम्बूद्वीप लवण समुद्र धातकीखंड कालोदधिसमुद्र पुष्करार्द्ध २ ४ उत्कर्षेण सागरोपमाणि स्थिति: १२ ४२ मनुष्य-क्षेत्र में एक सौ बत्तीस चन्द्र और एक सौ बत्तीस सूर्य हैं। उनका क्रम इस प्रकार है मनुष्य-क्षेत्र चन्द्र ७२ सूर्य २ ४ १२ ४२ ७२ हिन्दी अनुवाद १. दक्षिणार्द्ध मनुष्य-क्षेत्र के छासठ चन्द्रों ने प्रकाश किया था, करते हैं और करेंगे । दक्षिणार्द्ध मनुष्य-क्षेत्र के छासठ सूर्य तपे थे, तपते हैं और तपेंगे। २. उत्तरार्द्ध मनुष्य-क्षेत्र के छासठ चन्द्रों ने प्रकाश किया था, करते हैं और करेंगे । उत्तरार्द्ध मनुष्य-क्षेत्र के छासठ सूर्य तपे थे, तपते हैं और तपेंगे । For Private & Personal Use Only ३. अर्हत् श्रेयांस के छासठ गण और छासठ गणधर थे । ४. आभिनिबोधिक ज्ञान की उत्कृष्ट स्थिति छासठ सागरोपम की है । १३२ १३२ मनुष्य क्षेत्र दो पंक्तियों में विभक्त है— दक्षिण पंक्ति और उत्तर-पंक्ति । प्रत्येक पंक्ति में छासठ छासठ चन्द्र-सूर्य हैं । ' www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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