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________________ तेयालीसइमो समवानो : तेंतालीसवां समवाय मूल संस्कृत छाया हिन्दी अनुवाद १. तेयालीसं कम्मविवागझयणा त्रयश्चत्वारिंशत् कर्मविपाकाध्ययनानि १. कर्मविपाक के अध्ययन तेंतालीस हैं।' पण्णत्ता। प्रज्ञप्तानि । २. पढमचउत्यपंचमासु -तोसु पुढवोसु प्रथमवतुर्यपञ्चमोषु-तिसृषु पृथिवीषु २. पहली, चौथी और पांचवीं-इन तीन तेयालीसं निरयावाससयसहस्सा त्रयश्चत्वारिंशद् निरयावासशत- पृथ्वियों में तेंतालीस लाख नरकावास पण्णत्ता। सहस्राणि प्रज्ञप्तानि ।। ३. जंबुद्दीवस्स णं दोवस्स पुरत्थि- जम्बूद्वीपस्य द्वीपस्य पौरस्त्यात् ३. जम्बूद्वीप द्वीप के पूर्वी चरमान्त से मिल्लाओ चरिमंताओ गोथूभस्स चरमान्तात् गोस्तूपस्य आवासपर्वतस्य गोस्तूप आवास-पर्वत के पूर्वी चरमान्त णं आवासपव्वयस्स पुरथिमिल्ले पोरस्त्यं चरमान्तं, एतत् त्रयश्चत्वारि- का व्यवधानात्मक अन्तर तेंतालीस चरिमंते, एस णं तेयालीसं शद योजनसहस्राणि अबाधया अन्तरं हजार योजन का है। जोयणसहस्साई अबाहाए अंतरे प्रज्ञप्तम् । पण्णत्ते। ४. एवं चउडिसिपि दोभासे संखे एवं चतुदिक्षु अपि दकावभासः शङ्खः ४. इसी प्रकार जम्बूद्वीप के दक्षिणी दयसीमे (य?)। दकसीमः (च?)। चरमान्त से दकावभास आवास-पर्वत के दक्षिणी चरमान्त का, जम्बूद्वीप के पश्चिमी चरमान्त से शंख आवास-पर्वत के पश्चिमी चरमान्त का और जम्बूद्वीप के उत्तरी चरमान्त से दकसीम आवास-पर्वत के उत्तरी चरमान्त का व्यवधानात्मक अन्तर तेंतालीसतेंतालीस हजार योजन का है। ५. महालियाए णं विमाणपविभत्तीए महत्यां विमानप्रविभक्तौ तृताये वर्गे ५. महतीविमानप्रविभक्ति के तीसरे वर्ग में ततिये वग्गे तेयालीसं उद्देसणकाला त्रयश्चत्वारिंशद् उद्देशनकालाः तेंतालीस उद्देशन-काल हैं। पण्णत्ता। प्रज्ञप्ताः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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