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________________ २२ बावीसइमो समवायो : बाईसवां समवाय हिन्दी अनुवाद १. परीषह बाईस हैं, जैसे संस्कृत छाया १. बावीसं परोसहा पण्णता, तं द्वाविंशतिः परीषहाः प्रज्ञप्ताः , जहा तद्यथादिगिछापरीसहे पिवासापरीसहे क्षुधापरीषहः पिपासापरीषहः शीतसीतपरीसहे उसिणपरोसहे परीषहः उष्णपरीषहः दंशमशकपरीषहः दंसमसगपरीसहे अचेलपरीसहे अचेलपरीषहः अरतिपरीषहः स्त्रीअरइपरीसहे इत्थिपरीसहे चरिया- परीषहः चर्यापरीषहः निषीधि (दि) कापरोसहे निसीहियापरीसहे सेज्जा- परीषहः शय्यापरीषहः आक्रोशपरीसहे अक्कोसपरीसहे वहपरीसहे परीषहः वधपरीषहः याचनापरीषहः जायणापरीसहे अलाभपरोसहे अलाभपरीषहः रोगपरीषह, तृणस्पर्शरोगपरीसहे तणफासपरीसहे परीषहः जल्लपरीषहः सत्कारपुरस्कारजल्लपरीसहे सक्कारपुरक्कार- परीषहः ज्ञानपरीषहः दर्शनपरीषहः परीसहे नाणपरीसहे दंसणपरीसहे प्रज्ञापरीषहः । पण्णापरीसहे। २. दिट्रिवायस्स गं बावीसं सत्ताई दृष्टिवादस्य द्वाविंशतिः सूत्राणि छिण्णछेयणइयाइं ससमयसुत्त- छिन्नच्छेदनयिकानि स्वसमयसूत्रपरिवाडीए। परिपाट्या। बावीसं सुत्ताई अछिण्णछेयणइयाइं द्वाविंशतिः सूत्राणि अच्छिन्नच्छेदआजीवियसुत्तपरिवाडीए। नयिकानि आजीविकसूत्रपरिपाट्या । १. क्षुधा परीषह, २. पिपासा परीषह, ३. शीत परीषह, ४. उष्ण परीषह, ५. दंश-मशक परीषह, ६. अचेल परीषह, ७. अरति परीषह, ८. स्त्री परीषह, ६. चर्या परीषह, १०. निषीधिका' परीषह, ११. शय्या परीषह, १२. आक्रोश परीषह, १३. वध परीषह, १४. याचना परीषह, १५. अलाभ परीषह, १६. रोग परीषह, १७. तृणस्पर्श परीषह, १८. जल्ल परीषह, १६. सत्कार-पुरस्कार परीषह, २०. ज्ञान परीषह, २१. दर्शन परीषह और २२. प्रज्ञा परीषह। २. दृष्टिवाद के बाईस सूत्र स्व-समयपरिपाटी (जैनागम पद्धति) के अनुसार छिन्नछेद-नयिक होते हैं। दृष्टिवाद के बाईस सूत्र आजीवक परिपाटी के अनुसार अच्छिन्नछेद-नयिक होते हैं। बावीसं सुत्ताइं तिकणइयाइं द्वाविंशतिः सूत्राणि त्रिकनयिकानि तेरासिअसुत्तपरिवाडीए। त्रैराशिकसूत्रपरिपाट्या। दृष्टिवाद के बाईस सूत्र त्रैराशिक परिपाटी के अनुसार त्रिक-नयिक होते बावीसं सुत्ताई चउक्कणइयाई द्वाविंशतिः सूत्राणि चतुष्कनयिकानि दृष्टिवाद के बाईस सूत्र स्व-समयससमयसुत्तपरिवाडोए। स्वसमयसूत्रपरिपाट्या । परिपाटी के अनुसार चतुष्क-नयिक होते हैं। ३. बावीसइविहे पोग्गलपरिणामे द्वाविंशतिविधः पुद्गलपरिणामः प्रज्ञप्तः, ३. पुद्गल-परिणाम बाईस प्रकार के हैं, पण्णत्ते, तं जहातद्यथा जैसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003591
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra Samvao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1984
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size23 MB
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