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________________ ५४६ अउल-अंजणगिरि अउल [अतुल] ओ० १६५५१६. जी० ३.११६ अओकुंभी [अयस्कुम्भी] रा० ७५४,७५६ अमोज्या [अयोध्य] ओ० ५७ अओमय [अयोमय ] रा० ७५४,७५६. जी० ३१११६ ग्रंक [अङ्क] ओ० ४८,५१. रा. १०,१२,१८, २६,३८,६५,१३०,१६०,१६५,१७३,२२२, २५६,२७६,५०४. जी० ३१७,२८२,२८५, ३००,३१२,३३३,३८१,४१७,५६६,८६४ अंक (मय) अङ्कमय] जी० ३१७४७ अंकवाई [अधात्री रा०८०४ ग्रंकमय [अङ्कमय रा० १३०,२७०. जी० ३१३००,३२२,४३५ अंकवाणिय [अङ्कवाणिज्] रा० ७३७ ग्रंकहर {अङ्कधर] जी० ३१५६६ अंकामय [अङ्कमय] रा० १३०,१४६,१६०,२५४, जी० ३१२६४,३००,४१५ प्रकिय [अङ्कित] ओ० १६. जी० ३१५६६,५६७ ग्रंकुर अङ्कुर ओ० ५,८,१८४. रा० २७, २२८. जी. ३१२७४,२८०,३८७,६७२ ग्रंकुस [अकुश] रा० ३६,४०. जी० ३३१३, ३३८,५६७,६३४,८६२ अंकुसय [अङ्कुशक] ओ० ११७ अंकोल्ल [अङ्कोठ] जी० ११७४ | अंग अङ्ग ओ० १५,६३,१४३. रा० ५०६, ८१०. जी० ३।५६६ अंगण अङ्गन] ओ० २८ अंगपविट्ठ [अङ्गप्रविष्ट] रा० ७४२ अंगबाहिरक [अङ्गबाह्यक] रा० ७४२ अंगमंग | अङ्गाङ्ग] ओ० १४. रा० ७०,६७१, जो०३१५६८ अंगय अङ्गक | ओ० ६३ अंगय अङ्गद] ओ० ४७,७२,१०८,१३१. रा० २८५. ३१४५१ अंगारक अङ्गारक] ओ० ५० अंगुल | अगुल] ओ० १६,१७०,१६२,१६५७. रा० ५६,१८८,७६६. जी० १३१६,७४,६६,६४, १०१,१०३,१११,११२,११६,११६,१२१, १२३ से १२५,१३०,१३५; ३८२,६१,२६०, ४३६,५६६,५६७,७८८,८३८:१७,६६६, १०७४,१०८७,१०८६,११११: ५।२३,२६; ६४०,५१,६७,१७१ अंगुलक [ अगुलक] जी० ३।२६० अंगुलग [अगुलक] जी० ३।१०७४ मंगुलय [अङ्गुलक] जी० ३।८२ अंगुलि ] अङ्गुलि] रा० २६२. जी० ३।४५७ अंगुलिज्जग [अङ्गुलीयक] ओ० ६३ अंगुलितल [अगुलितल] ओ० २,५५. रा० ३२, २८१,२६३,२६५. जी० ३१३७२,४४७,४५८, ४६०,५५४ अंगुलिय [अङ्गुलिक] ओ० १७० अंगुली [अगुली] ओ० १६ अंगुलीय [अङ्गुलीक] ओ०६३. जी० ३।५९६, ५६७ अंगुलेज्जग अङ्गुलोयक] जी० ३१५६३ भिंच [कृष्]--अंचेइ ओ० २१. रा० ८. जी० ३४५७ अंचितरिभित [अञ्चितरिभित] जी० ३१४४७ अंचित्ता [कृष्ट्वा] रा० २९२ अंचिय [अञ्चित] रा० १०५.११६,२५१. जी० ३१४४७ अंचियरिभिय अञ्चितरिभित] रा० १०७,२८१ अंचेता कृष्ट्वा ] ओ०२१. रा०८. जी. २४५५ अंजण | अञ्जन] ओ० ४७. रा० १०,१२,१८,२५, ६५,१६१,१६५,२५८,२७९. जी० ३७,२७८, ३३४,४१६,४४५ अंजणफेसिगा [अजनकेशिका ] जी० ३१२७६ अंजणकेसिया (अञ्जनकेशिका रा० २६ अंजणग [अञ्जनक] ओ० १३. जी० ३१८८२, ८८३,६१०,६१३ से ११६ मंजणगिरि [अजनगिरि ओ०६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003570
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages639
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size13 MB
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