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________________ तच्चा चउविहपडिवत्ती २७६ तिरिक्खजोणिय उद्देसओ पढमो १३०. से किं तं तिरिक्खजोणिया? तिरिक्खजोणिया पंचविधा पण्णत्ता, तं जहाएगिदियतिरिक्खजोणिया बेइंदियतिरिक्खजोणिया तेइंदियतिरिक्खजोणिया चउरिदियतिरिक्खजोणिया पंचिदियतिरिक्खजोणिया य ।। १३१. से किं तं एगिदियतिरिक्खजोणिया ? एगिदियतिरिक्खजोणिया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा--पुढिवकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया जाव वणस्सइकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया।। १३२. से किं तं पुढविक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणिया? पुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–सुहुमपुढ विकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया बादरपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया य॥ १३३, से कि तं सुहुमपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया ? सुहुमपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--पज्जत्तसुहुमपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया अपज्जत्तसुहुभपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया। से तं सुहुमा ॥ १३४. से कि तं वादरपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया ? वादरपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया दविता पण्णला. तं जहा-पज्जत्तबादरपढविकाइयागिदियतिरिक्खजोणिया अपज्जत्तबादरपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया। से तं बादरपुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया । से तं पुढविकाइयएगिदिया। १३५. से किं तं आउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणिया ? आउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणिया दुबिहा पण्णत्ता, एवं जहेव पुढविकाइयाणं तहेव आउकायभेदो। एवं जाव वणस्सतिकाइया । से तं वणस्सइकायएगिदियतिरिक्खजोणिया ॥ १३६. से कि तं बेइंदियतिरिक्खजोणिया ? बेइंदियतिरिक्खजोणिया दुविधा पण्णत्ता, तं जहा--पज्जत्तगबेइंदियतिरिक्खजोणिया अपज्जत्तगबेइंदियतिरिक्खजोणिया। से तं बेइंदियतिरिक्खजोणिया । एवं जाव चउरिदिया ।। १३७. से किं तं पंचेंदियतिरिक्खजोणिया ? पंचेंदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिया थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया । १३८. से किं तं जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया? जलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-समुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य गन्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया य॥ १३६. से किं तं समुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ? संमुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगसंमुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया अपज्जत्तगसंमुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया। से तं समुच्छिमजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ।। १४०. से कि तं गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ? गब्भवक्कं तियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोगिया दुविधा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगगब्भवतियजलयर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003570
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Jivajivabhigame Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages639
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size13 MB
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