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________________ २७ थीह ११७३ १११०० १।१०१ १।११६ २०५६ २१६० २०७४ २०६२ २।२४१ २११४६ तहप्पगारा दुआगइया आहारो पलिओदमाई अब्भहियाई फुफुअग्गि वासपुहत्तं एतासि वणस्सति जोयण आवबहुले अबाधाए जे णं इम असीउत्तरं अडहत्तरे किण्हपुड बाहल्लेणं केरिसगा ३१५ ३१६ ३१४८ ३१७३ (ता) ३१७७ ३१७७ ३०० ३२६४ ३३६६ ३१११८ ३३११८ ३३११६ छिरियविरालिया (ग,ट); छीरवीराली (ता) थिभु तहप्पकारा (क,ख,ग,ट) दुयागतिया आधारो (ता) पलितोवमाई (क,ख,ग,ट) अब्भधियाई फुफअग्गि (क); पुफअग्गि वासपुधत्तं (क); वासपुहुत्तं एतेसि (क,ख,ग,ट); एगासि (ता) वणप्फई (क,ख,ग) जोतण अवबहुले (क); आवबहुले आबाधाए (क,ख,ट) जेणिमं आसीउत्तरे अडसत्तरी (ग); अठ्ठत्तरे (ता) किण्णपुड (क,ग.) पाहलेणं (ता) केरिसता (क,ख,ग) फुडिग* (ता) (मवृ) उसुणवेदणिज्जेसु विरइय (क,ग,ट) एकाहं (ख,ग,ट) तत्थ (क,ख,ग,ट); यत्थ जंबूणतमया (क); जणतामया (ग,ट,ता) ओवारियलयण (क,ख,ग,ट,त्रि;) उवकारिवलयणे थंभुगमय (क,ग) धूमवडियाओ उधितिय (क,ख); उविश्य बादालोस बातालीसं केतिलासे (ख); कइलासे (ग,ट,त्रि) इऊयाल (क); ऊयाल (ख,ता;) इगुयालं (ग) फुडित स्फुटित' उसिणवेदणिज्जेसु विरचिय एमा एत्थ जंबूणदमया ज्वगारियालयणे ३१२३४ ३१३२३ ३।३७१ ३३३७२ ३२४१२ ३१५६३ ३३७३३ ३१७५० ३१७४८ ३१७६४ खं भुम्गय धूवडियाओ ओविय बापालीसं (ता) केलासे एगुणयालं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003569
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages470
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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