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नाम-बोध
प्रस्तुत आगम द्वादशाङ्गी का नवां अंग है । इसमें अनुत्तर नामक स्वर्ग-समूह में उत्पन्न होने वाले मुनियों से सम्बन्धित दस अध्ययन हैं, इसलिए इसका नाम 'अणुत्तरोववाइयदसाओ' है । नंदी सूत्र में केवल तीन वर्गों का उल्लेख है। स्वानांग में केवल दस अध्ययनों का उल्लेख है। राजवार्तिक के अनुसार इसमें प्रत्येक तीर्थंकर के समय में होने वाले दस-दस अनुत्तरोपपातिक मुनियों का वर्णन है | समवायांग में दस अध्ययन और तीन वर्ग -- दोनों का उल्लेख है । उसमें अध्ययनों के नाम उल्लिखित नहीं हैं। स्थानांग और तत्त्वार्थवार्तिक के अनुसार उनके नाम
इस प्रकार हैं ।
अतिमुक्त |
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(१) स्थानांग के अनुसार
ऋषिदास, धन्य, सुनक्षत्र, कात्तिक, स्वस्थान, शालिभद्र, आनंद तेतली दशार्णभद्र और
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अणुतरोववाइयदसाओ
(२) राजवार्तिक के अनुसार
ऋषिदास वान्य, सुनक्षत्र, काशिक, नन्द, नन्दन, शालिभद्र, अभय, वारिषेण और चिलापुत्र' ।
उक्त दस मुनि भगवान् महावीर के शासन में हुए थे - यह तत्त्वार्थ वार्तिककार का मत है । धवला में कालिक के स्थान पर कार्तिकेय और नंद के स्थान पर आनंद मिलता है।
प्रस्तुत आगम का जो स्वरूप उपलब्ध है वह स्थानांग और समवायांग की वाचना से भिन्न है। अभयदेवसूरि ने इसे वाचनान्तर बतलाया है उपलब्ध वाचना के तृतीय वर्ग में धन्य,
५. ठाणं १०/११४ ।
६. तत्त्वार्थवार्तिक १।२० पृ०७३ ।
७. षट्खण्डागम १३१२
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१. नंदी, सून ८ तिणि वगा ।
२. ठाणं १०१११४
३. (क) तस्वार्थपातिक १२०, पृ० ०३
....... इत्येते दश वर्धमानतीर्थ करतीर्थे । एवमृषभादीनां त्रयोविंशतेस्तीर्थेष्वन्येऽन्ये च दश दशानमारा दश दनुजस्य विजयातपूरयन्ना इत्येवमनुशरोपपादिकः दास्यन्त इत्यनुत्तरोपपादिकदशा ।
(ख) कसायपाहुड भाग १, पृ० १३० ।
अणुत्तरोववादियदसा णाम अंगं चउब्विहोवसम्गे दारुणे सहिपूर्ण चउवीसन्हं तित्ययराणं तिथेसु अणुत्तरविमाणं गये दस दस मुणिवस हे वण्णेदि ।
४. समयाओ, पइण्णगसमवाओ १७ ।
.......दस अज्झयणा तिष्णि बरसा
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स्थानांगवृति पत्र ४०३:
तदेवमिहापि वाचनान्तरापेक्षयाध्ययनविभाग उपसो नभ्यमानवाचनापेक्षयेति ।
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