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उवासगदसाओ देवत्ताए उववणे। चत्तारि पलिग्रोवमाई ठिई पण्णत्ता। महाविदेहे वासे
सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ मुच्चिहिइ सव्वदुक्खाणमंत काहिइ ।। निक्खेव-पदं ५४. "एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं उवासगदसाणं अट्ठमस्स
अज्झयणस्स अयम? पण्णत्ते ° ।।
१. सं० पा०--निक्खेवो।
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