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०मा०
अट्ठमं अज्झयणं (महासतए)
५२५ झूसणा-झूसियस्स भत्तपाण-पडियाइक्खियस्स परो संतेहि तच्चेहि तहिपहिं सब्भूएहिं अणिद्वेहि अकतेहिं अप्पिएहि अमण्णोहिं अमणामेहिं वागरणेहि ° वागरित्तए। तुमे णं देवाणप्पिया ! रेवती गाहावइणी संतेहि तच्चेहि तहिहिं सब्भूएहिं अणिद्वेहिं अकतेहिं अप्पिएहिं अमणुण्यहिं अमणामेहि वागरणेहिं . वागरिया । तं णं तुम देवाणु प्पिया ! एयस्स ठाणस्स पालोएहि पडिक्कमाहि निदाहि गरिहाहि विउट्टाहि विसोहेहि अकरणयाए अब्भुट्ठाहि अहारिहं
पायच्छित्तं तवोकम्म° पडिवज्जाहि ।।। महासतगस्स पायच्छित्त-पदं ५०. तए णं से महासतए समणोवासए भगवनो गोयमस्स तह त्ति एयमढुं विणणं
पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ पडिक्कमइ निदइ गरिहइ विउदृइ विसोहेइ अकरणयाए अब्भुटेइ° अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म
पडिवज्जइ ।। गोयमस्स पडिणिक्खमण-पदं ५१. तए णं से भगवं गोयमे महासतगस्स समणोवासगस्स ग्रंतियानो पडिणिक्खमइ,
पडिणिक्खमित्ता रायगिह नयर मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव समण भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीर
वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। भगवनो जणवयविहार-पदं ५२. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ रायगिहायो नय राम्रो पडिणि
क्खमइ, पडिणिक्खमिता वहिया जणवयविहारं विहरइ॥ महासतगस्स अणसण-पदं ५३. तए ण से महासतए समणोवासए बहूहि सील-व्वय - गुण-वे रमण-पच्चक्खाण
पोसहोववाहि अप्पाणं° भावेत्ता बोसं वासाइं समणोवासगपरियायं पाउणित्ता एक्कारस य उवासगपडिमानो सम्मं काएणं फासित्ता, मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता, सट्टि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता, पालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणव.सए' विमाणे
१. सं० पा०-संतेहिं जाव वागरिया ! २. सं० पाo-आलोएहि जाव पडिवज्जाहि। ३. पडिच्छति (क)। ४. सं० पा०—आलोएइ जाव अहारिहं।
५. जहारिहं (क, ख, ग, घ)। ६. सं० पा०-सोलध्वयगणेहिं जाव भावेत्ता । ७. वडिसए (ख, ग, घ)।
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