________________
सोलसम अज्झयण (अवरकका)
२६३
अज्जो ! समणीयो निग्गंथीयो इरियासमियायो जाव' गुत्तबंभचारिणीओ। नो खलु अम्हं कप्पइ बहिया गामस्स वा जाव' सण्णिवेसस्स वा छटुंछट्ठणं' 'अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं सूराभिमुहीणं पायावेमाणीणं विहरितए ! कप्पइ णं अम्हं अंतोउवस्सयस्स वइपरिक्खित्तस्स संघाडिबद्धियाए णं समतलपइयाए'
आयावेत्तए । १०८. तए णं सा सूमालिया गोवालियाए एयमटुं नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ,
एयमटुं असद्दहमाणी अपत्तियमाणी अरोयमाणी सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते छटुंछट्टेणं 'अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं सुराभिमुही आयावेमाणी'
विहरई॥ सूमालियाए नियाण-पदं १०६. तत्थ णं चंपाए ललिया नाम गोट्ठी परिवस इ-'नरवइ-दिन्न-पयारा अम्मापिइ.
नियण-निप्पिवासा वेसविहार-कय-निकेया नाणाविह-अविणयप्पहाणा अड्डा
जाव बहुजणस्स अपरिभूया ॥ ११०. तत्थ णं चंपाए देवदत्ता नामं गणिया होत्था—सूमाला जहा अंड-नाए" ॥ १११. तए णं तीसे ललियाए गोट्ठीए अण्णया कयाइ पंच गोहिल्लगपुरिसा देवदत्ताए
गणियाए सद्धि सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स" उज्जाणसिरिं पच्चणुब्भवमाणा
विहरंति ॥ ११२. तत्थ णं एगे गोटिल्लगपुरिसे देवदत्तं गणियं उच्छंगे धरेइ, एगे पिट्ठो आयवत्तं
धरेइ, एगे पुप्फपूरगं रएइ, एगे पाए रएइ, एगे चामरुक्खेवं करेइ ॥ ११३. तए णं सा सूमालिया अज्जा देवदत्तं गणियं तेहिं पंचहिं गोटिल्लपुरिसेहि सद्धि
उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणि" पासइ, पासित्ता इमेयारूवे संकप्पे समुप्पज्जित्था-अहो णं इमा इत्थिया पुरापोराणाणं 'सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं कडाणं कल्लाणाणं कम्माणं कल्लाणं फलवित्तिविसेसं पच्च
१. ना० १.१४।४० ।
निक्किया (ग)। २. ना० ११।११८।
६. ना० ११५७। ३. सं० पा०-छटुंछट्रेणं जाव विहरित्तए। १०. ना० ११३८ । ४. समतलवइयाए (क); पतियाए (ख, घ); ११.४ (ख, घ)। ___वत्तियाए (ग)।
१२. पाठान्तरे पाए रोवेइति घतजलाभ्यां ५. सं० पा०-छटुंछट्टेणं जाव विहरइ । आर्द्र यति (वृ)। ६. नरवइविदिण्णवियारा (क, ख)। १३. एहिं (क)। ७. अम्मापिई ० (क, ख, ग)।
१४. भुंजमाणी (क, ख, ग, घ)। ८. निक्केया (क); विक्किया (ख); १५. सं० पा० --पुरापोराणाणं जाव विहरइ ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org