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नायाधम्मकहाओ
वृत्तिकृता समुद्धता निगमनगाथा
जह मिउलेवालित्तं, गुरुयं तुंबं अहो वयइ । एवं कय-कम्मगुरू, जीवा वच्चंति अहरगई ॥१॥ तं चेव तविमुक्कं, जलोवरि ठाइ जाय-लहुभावं । जह तह कम्म-विमुक्का, लोयग्ग-पइट्ठिया होंति ॥२॥
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