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जिणदत्तपुत्तस्स सद्धाए मयूर लद्धि-पदं
२५. तए णं से जिणदत्तपुत्ते जेणेव से मयूरी अंडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तंसि मयूरी - अंडयंस निस्संकिए [निक्कखिए निव्वितिगिछे ? ] ' 'सुव्वत्तए
मम एत्थ की लावणए मयूरी पोयए भविस्सइत्ति कट्टु तं मयूरी- अंडयं अभिक्खणं प्रभिक्खणं नो उव्वत्तेइ नो परियत्तेइ नो प्रासारेइ नो संसारेइ नो चालेइ नो फंदेइ नो घट्टेइ नो खोभेइ अभिक्खणं प्रभिक्खणं कण्णमूलंसि • नो टिट्टियावेइ |
२६. तए णं से मयूरी - अंडर अणुब्वत्तिज्जमाणे जाव' अटिट्टियाविज्जमाणे कालेणं समणं उब्भिन्ने मयूरी - पोयए एत्थ जाए ||
२७. तए णं से जिणदत्तपुत्ते तं मयूरी- पोययं पासइ, पासित्ता हट्ठतु मयूर - पोसए सद्दावेs, सहावेत्ता एवं वयासी तुम्भे णं देवाणुप्पिया ! इमं मयूर-पोयगं बहूहि मयूर - पोसण - पाओगेहि दव्वेहिं ग्रणुपुव्वेणं सारक्खमाणा संगोवेमाणा संवढेह', नदुल्लगं च सिक्खावेह ॥
२८. तए णं ते मयूर-पोसगा जिणदत्तपुत्तस्स एयमट्ठ पडिसुर्णेति तं मयूर - पोयगं गेव्हंति, जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, तं मयूर - पोयगं" "वहूहि मयूरपोसण-पात्रोग्गेहि देहि श्रणुपुब्वेणं सारक्खमाणा संगोवेमाणा संवढेति, नदुल्लगं च सिवखावेंति ॥
२६. तए णं से मयूर - पोयए उम्मुक्कबालभावे विष्णयः- परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुपत्ते लक्खण वंजण- गुणोवए माणुम्माण-प्पमाणपडिपुण्ण पक्ख- पेहुणकलावे 'विचित्तपिच्छसतचंदए" नीलकंठए नच्चणसिीलए एगाए चप्पुडियाए कयाए समाणीए गाई नदुल्लगसयाई केकाइयस्याणि " य करेमाणे विहरड़ ||
३०. तए णं ते मयूर - पोसगा तं मयूर पोयगं उम्मुक्कबालभावं जाव के काइयसयाणि य करेमाणं पासित्ता णं तं मयूर - पोयगं गेहंति, गेण्हित्ता जिणदत्त पुत्तस्स उवर्णेति ॥ !
३१. तए णं से जिणदत्तपुत्ते सत्यवाहदारए
नायाधम्मक हाओ
मयूर - पोयगं उम्मुक्कबालभावं जाव'
१. द्रष्टव्यम् -- ३४ सूत्रम् ।
८. सं० पा० - मयूरपोयगं जाव नदुत्लगं । २. सुव्वत्तणं ( क, घ); x ( ख ); सुद्धत्तणं ६. विन्नाण ( क ) ; विन्नाय ( ख, ग, घ ) । १०. विचित्त पिच्छोसत्त चदए ( ख, ग, वृपा ) 1
केयाइगु ०
(ग) |
३. सं० पा०-- उब्वत्तेइ जाव नो टिट्टियावेइ । ११. केयाणियगसइयाई
( ख, ग ); केकातित
४. ना० १/३/२५
५. उभिन्न ( ग ) |
६. संवह (क, ख, ग, घ ) ।
७. नउल्लगं (ग); नट्टल्लगं (घ) ।
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१२. ना० १।३।२६ ।
१३. ना० १/३/२६
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(क); (घ) ।
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