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________________ अ-अइहील (अ) अ (च) द०६।४ गा०१.उ० १६।३३. दसा० ६७ अइमत्त (अतिमात्र) उ० १६८ अइ (अपि) उ० २।२७,४६ अइमहुर (अतिमधुर) ५० ५८ अडअंबिल (अत्याम्ल) प० ५८ अइमाय (अतिमात्र) उ०१६ सू० १०, गा० १२ अहउक्कस (अत्युत्कर्ष) द० ५।१४२ अइमुत्त (अतिमुक्त) प० २५ अडउच्च (अत्युच्च) उ० ११३४ अइया (अजिका) नं० ३८।४ अइउण्ह (अत्युष्ण) ५० ५८ अइयाय (अतियात) उ० २०१५६ अइउल्ल (अत्या) प० २८ अइयार (अतिचार) आ० ३।१; ४।३,७,६; ५॥२. अइंत (आयत्) ५० १६२ द० ५।८६ अकड़य (अतिकटुक) ५० ५८ अइरित्त (अतिरिक्त) उ०२६।२८ अइक साय (अतिकषाय) ५० ५८ अइरेग (अतिरेक) प० २२. व० ८।१६. अइक्कम (अतिक्रम) आ० ४।७ नि० ११५४; १४१५ से ७; १८।३७ से ३६ Vअइक्कम (अति+क्रम)-अइक्कमइ अइरोद्द (अतिरौद्र) अ० ३१३।२ उ० २६/२. क० ४।६. नि० १०।२५. अइलाभ (अतिलाभ) द० १।४५ --अइक्कमति प० २८७. - अइक्कमे उ० अइलुक्ख (अतिरूक्ष) ५० ५८ ११३३. -अइक्कमेज्जा क० ५।४० अइलोलुय (अतिलोलुप) उ० १११५ अइक्कमण (अतिक्रमण) आ० ३।१. क. ११३७, Vअइवत्त (अति वृत्)-अइवत्तइ उ० २७।२. २।१७, ३।३३ -अइवत्तए द०६।३३ । अइक्क मित्तु (अतिक्रम्य) द० ५।१११ अइवयंत (अतिव्रजत्) प० २३ अहक्कम्म (अतिक्रम्य) द० ५१२५ Vअइवाय (अति + पातय)-अइवाएज्जा ०४ अइगच्छमाण (अतिगच्छत्) नि० ६८ सू० ११. उ० ८18 -अइवायावेज्जा द०४ अइगय (अतिगत) उ० १०१५ से १४; २२।२७ अइच्छंत (अतिक्रामत) उ० १६०५ अइवायंत (अतिपातयत्) द० ४ सू० ११ अइच्छिय (अतिक्रान्त) उ० ३३।२४ अइविगिट्ठ (अतिविकृष्ट) उ० ३६।२५३ अइच्छिया (अतिक्रम्य) उ० ७।२१ अइवेग (अतिवेग) प० ३४ अइतिक्ख (अतितीक्ष्ण) उ० १६०५२ अइवेला (अतिवेला) उ० २।६,२२ अइतिन (अतितिक्त) ५० ५८ अइसय (अतिशय) उ० २६।३८. नं०६० अइदुस्सह (अतिदुःसह) उ० १९७२ अइसिरी (अतिश्री) प० २२ अइदूर (अतिदूर) द० ५।२३. उ० १।३३; २०१७ अइसीय (अतिशीत) ५० ५८ अइदूरओ (अतिदूरतस्) उ० १।३४ अइसुक्क (अतिशुष्क) ५० ५८ अनिद्ध (अतिस्निग्ध) ५० ५८ अइसेस (अतिशेष) दसा० १०११६. व०६।२.३ अइभूमि (अतिभूमि) द० ५।२४ V अइहील (अति+होलय)-अइहीलेज्जा अइमच (अतिमञ्च) १०६२ व०५९६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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