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नवमो उद्देसो
सेज्जातर-पदं १. सागारियस्स' आएसे अंतो वगडाए भुंजइ' निट्ठिए निसट्टे पाडिहारिए, तम्हा दावए,
नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए । २. सागारियस्स आएसे अंतो वगडाए मुंजइ निट्ठिए निसठे अपाडिहारिए', तम्हा
दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥ ३. सागारियस्स आएसे बाहिं वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसठे पाडिहारिए, तम्हा दावए,
नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए । ४. सागारियस्स आएसे बाहिं वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसठे अपाडिहारिए, तम्हा दावए,
एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए । ५. सागारियस्स दासे वा' भयए वा' अंतो वगडाए भुंजइ' निट्ठिए निसठे पाडिहारिए,
तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए । ६. सागारियस्स दासे वा भयए वा अंतो वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसठे अपाडिहारिए,
तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए । ७. सागारियस्स दासे वा भयए वा बाहिं वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसठे पाडिहारिए, __ तम्हा दावए, नो से कप्पइ पडिगाहेत्तए॥ ८. सागारियस्स दासे वा भयए वा बाहिं वगडाए भुंजइ निट्ठिए निसट्टे अपाडिहारिए,
तम्हा दावए, एवं से कप्पइ पडिगाहेत्तए ॥
१. सारियस्स (ग, जी, शु) सर्वत्र । २. अतोने 'क, ता' प्रत्यो: 'सागारियसंतिए उवग- रणजाए' इति पाठ अष्टमसूत्रपर्यन्तं सर्वत्रैव
दृश्यते । ३. अप्पडिहारिए (ता) ४. इ वा पेसे इ वा (ख); वा पेसे वा (ग);
वा वेसे वा (जी, शु) सर्वत्र । ५. इ वा भतिन्नए वा (ख); वा भतिन्नए वा
(ग, जी, शु) सर्वत्र । ६. 'ग' प्रती सूत्रचतुष्टयस्य स्थाने पाठसंक्षेपो
दृश्यते-एत्थ वि चउभंगो भाणियव्वो।
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