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नंदी
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इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं तीए काले अणंता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरतं संसार कतार वीईवइंसु ।
इच्चेइयं दुवाल संगं गणिपिडगं पडुप्पण्णकाले परित्ता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवयंति ।
इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं अणागए काले अनंता जीवा आणाए आराहित्ता चाउरंतं संसारकंतारं वीईवइस्संति ||
१२६. इच्चेइयं दुवालसंगं गणिपिडगं न कयाइ नासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्स । भवि च भवइ य, भविस्सइ य । धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए Cafe food |
से जहानामए पंचत्थिकाए न कयाइ नासी, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ । भुवि च भवइ य, भविस्सइ य । धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे । वामेव दुवालसंगे गणिपिडगे न कयाइ नासी, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ । भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य । धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अट्ठिए निच्चे ।।
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१२७. से समासओ चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा दव्वओ, खेत्तओ, कालओ, भावओ । तत्थ दव्वओ णं 'सुयनाणी उवउत्ते" सव्वदव्वाई 'जाणइ पासइ' खेत्तओ णं 'सुयनाणी उवउत्ते" सव्वं खेत्तं 'जाणइ पासइ" । कालओ णं 'सुयनाणी उवउत्ते" सव्वं कालं 'जाणइ पासइ " । भावओ णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वे भावे 'जाणइ पासइ" । संगहणी-गाहा -
१. उवउत्ते सुयनाणी ( क, ख ) । २. जाणइ न पासइ (हमा, मपा) ।
३. उवउत्ते सुयनाणी (क, ख ) ।
४. जाणइ न पासइ (हपा, मपा) ।
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अक्खर सण्णी सम्म, साइयं खलु सपज्जवसियं न । गमियं अंगपविट्ठ, सत्तवि एए सपविक्खा ॥१॥ आगम-सत्थग्गहणं, जं बुद्धिगुणेहिं अट्ठहिं दिट्ठ । बिति सुयनाणलंभं तं पुब्वविसारया धीरा ॥२॥ सुस्सूसइ पडिपुच्छइ, सुणइ गिण्हइ य ईहए यावि' । तत्तो अपोहए वा, धारेइ करेइ वा सम्मं ||३||
मूअं हुंकारं वा, बाढक्कार पsिपुच्छ वीमंसा । तत्तो संगपारायणं च परिणिट्ट सत्तम ॥४॥
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५. उवउत्ते सुयनाणी (क, ख ) । ६,७. जाणइ न पासइ (हपा, मपा ) ८.विदिट्ठ ( क ) ।
६. वावि (क, ख ) ।
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