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________________ सेज्जायरपिंड-सेवा सेज्जायरपिंड (शय्यातरपिण्ड) द० ३।५ सेय (श्रेयस्) द० २१७; ४ सू० १ से ३. सेज्जासणिय (शय्यासनिक) प० २७८ उ० २।२६५/६६।४०; १८१४८२२।२६, सेट्टि (श्रेष्ठिन) द० १।५. उ० १३१२. अनं० १२ ४२. प० १४,३२,४२ से १४. अ० १६,३६५. दसा०६।२।१६. सेयंस (श्रेयांस) प० १४३ प० ४२ सेयकाल (एष्यत्काल) अनं० ६. अ० १७,३८,६१, मेडिया (सेटिका) द० ५।३४ ८५,११०,५६७,६२७,६३६,६५१,६७७,७०४ सेढि (श्रेणि) नं० १८१८. अ० १५०, १५४,१७६, सेयप्पभा (श्वेतप्रभा) प० ३२ १८३,१५७,१६१,१६५,२२१,२२५,२२६, सेयायण ('सेव'आयतन) नि० ३१७५ २३३,२३७,२४१,२४५,३८८,३६३,४०६, सेयाल (दे०) उ० २६७२ ४११,४५८,४६३,४६७,४८२,४८७,४६०, सेल (शैल) नं० ८३. अ० ४१०. प० २४,५१, ४६५,४६६,५०३,६४० १२४,१३०,१३८,१८० सेढिअंगुल (श्रेण्यङ्गुल) अ० ४११,४१२ सेलकम्म (शैलकर्मन्) नि० १२।१७ सेढितव (श्रेणितप) उ० ३०।१०।। सेलगोल (शैलगोल) दसा० ६।४ सेणा (सेना) द० ८।६१. उ० १२।२७. अ० ६५. सेलघण (शैलघन) नं० गा० ४४ दसा० ५।८।१२; १०।१५. ५० १६१. सेलपाय (शलपात्र) नि० ११११ से ३ क० ३।३३ सेलबंधन (शलबन्धन) नि० १११४ से ६ सेणाखंधार (सेनास्कन्धावार) उ० ३०११७ सेलेसी (शैलेशी) द० ४।२३,२४. उ० २६१,७३ सेणावइ (सेनापति) अनं० १२ से १४. अ० १६, सेल्ली (३०) उ० २७१७ ३६५. १० ४२ सेव (सेव)-सेवइ उ० २५४२५.-सेवई मेणावच्च (सेनापत्य) अ० ३०२. दसा १०।१८. द० ५।१३४.-सेवए उ० ७।३०.-सेवंति प०६ उ० २।३५.--सेवामि उ०२१७.--सेविज्ज मेणावति (सेनापति) दसा० ५।७।१२;६।२।१८ उ० १६.-सेविज्जा उ० २।४. सेणि (श्रेणि) दसा० ५७।१७ दसा० ६।२।३६.--सेवे उ० ४।१२. सेणित (श्रेणिक) दसा० १०।२१ -सेवेज्जा द० ४ सू० १४. उ० ८।१२ सेवंत (सेवमान) द. ४ सू० १४ सेणिय (श्रेणिक) उ० २०१२,१०,१२,५४. सेवण (सेवन) उ० २८१२८; ३५॥३ दसा० १०१२ से ४,६ से २३ सेवणया (सेवन) उ० २६।१; ३०१२८ सेत (श्वेत) अ० ३५३ सेतपड (श्वेतपट)अ० ३५३ सेवमाण (सेवमान) उ० १६ सू० ३. सेतिया (सेतिका) अ० ३७४ नि० ११५६; २१५६, ३।८०, ४११८, ५७८; सेना (सेना) उ०२२।१२ ६३७६; ७/६२,८।१८, ६।२६; १०४१; . सेय (श्वेत) दसा० १०.१५,१७. नि० १५,९८ ११।६३; १२।४३; १३।७५; १४१४१; सेय (सेक) क०६८ १५।१५४; १६।५१; १७।१५२; १८१७३; सेय (स्वेद) दसा० ७।२२. नि० ३।६७; ४।१०५; १६।३७ ६७६;७।६५; १११६२; १५।६४,१५०%; सेवय (सेवक) उ० १७१७ १७.६६ सेवा (सेवा) उ० ३२।३;३६२६७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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