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________________ २८८ सत्थपरिणय-सपंचराय सत्थपरिणय (शस्त्रपरिणत) द०४ सू० ४ से ८ सत्थवाह (सार्थवाह) अनं० १२ से १४. अ० १६, ३६५. प० ४२ सत्थाह (सार्थवाह) नि०६।२७ सत्थोपाडण (शस्त्रावपाटन) नि० १११६३ सद (षद्)-सदति दसा० १०१२४ सदसराय (सदसरात्र) नि० २०१२५,२६,२८,२६. ४८,४६ सदावरी (शतावरी) उ० ३६११३८ सदुय (दे०) नि० १७।१३६ सद्द (शब्द) आ० ४।८. द० ८।२६; ६।४ सू० ६, ७; १०।११. उ० ६७; १५।१४;१६ सू० ७, १२. गा० १०,२१।१४; २८।१२; २६।४६; ६३; ३२१३५ से ४७,१०६. नं० ५३,५४।४. अ० ३११,३१३,५२२,५५७,५७३,७१५. दसा० ६।३; १०१११,१४,१७,१८. प० ३२, ४२,६४,७३ से ७५,११२. नि० ५१६०; १७।१३६ से १४०,१५२ सिद्द (शब्दाय)-सद्दाविति प० ४३. - सद्दावेद दसा० १०॥३. प० १४.-सद्दावेति दसा० १०18.--सद्दावेह प० ४२ सद्दकर (शब्दकर) दसा० ११३ सद्दणय (शब्दनय) अन० ६ सद्दनय (शब्दनय) अ० १४,३५,५८,८२,१०७, ५५५,५५६,५६४,५६८,६०६,६२४,६३६, ६४८, ६७४,७०१ सिद्दह (श्रत्+धा)-सद्दहइ उ० २८।१६. -सद्दहाइ उ० २८।१८.-सद्दहामि आ० ४।६.-सद्दहे उ० ३।११. ---सद्दहेज्जा दसा० १०॥३२ सद्दहंत (श्रद्दधत्) आ० ४।६. उ० २८।१५ सद्दहंतया (श्रद्धधत्) उ० १०।२० सद्दहणा (श्रद्धान) उ०१०।१६; २८।२८ सद्दहिऊण (श्रद्धाय) उ० ३६।२४६ सद्दहित्तए (श्रद्धातुम) दसा १०१२६ सद्दहित्ता (श्रद्धातुम्) उ० २६।१ सदाविय (शब्दायित) प० ४४ सद्दावेत्ता (शब्दयित्वा) दसा० १०१३. प० १४ सद्दिय (शाब्दिक) अ० ५७३ सद्धम्म (सद्धर्म) उ० ३।१६ सद्धा (श्रद्धा) द० ८।६०. उ० ३।१,६,१०, ६।२०, ५६; १२॥१२; १४।२८ सद्धि (सार्द्धम) द. ५१६५. उ० १।२६. नं० १०. दसा० ३।३. प० ७. व. २।२४. नि० २०३६ सन्ना (संज्ञा) नं० ५४१६ सन्नाइपिंड (स्वज्ञातिपिण्ड) उ० १७।१६ सन्निओग (सन्नियोग) उ० ३२।२८,४१,५४,६७. ८०,६३ सन्निक्खित्त (सन्निक्षिप्त) प० ५१ सन्निचित (सन्निचित) अ० ४२२,४२४,४२६, ४३१,४३६,४३८ सन्निगास (सन्निकाश) प० ३३ सन्निनाय (सन्निनाद) उ० २२।१२ सन्नियट्टचारि (सन्निवृत्तचारिन् प०२५१ सन्निर (दे०) द० ५७ सन्निरुद्ध (सन्निरुद्ध) उ० ७।२४; २२।१४,१६; ३०१५ सन्निवाइय (सान्निपातिक) अ० १२६,२४३,२४४, २७१,२८६,२६७ सन्निविट्ठ (सन्निविष्ट) क० ३।१३३ सन्निवेस (सन्निवेश) द० २१०५. उ० ३०११७. अ० ३२३. क० १११६; ३।३४. व० ४।६,१०. ५१६,१०, ६।४ से ७; ६।४०,४१ सन्निसण्ण (सन्निषण्ण) व० ५।१८ सन्निसन्न (संनिषण्ण) प० १० सन्निसेज्जा (सन्निषद्या) उ० १६ सू० ५ सन्निहाणत्थ (सन्निधानार्थ) अ० ३०८।२ सन्निहि (सन्निधि) द० ३।३; ६।१७,१८,८।२४. उ०६।१५; १६।३०. नि० ८।१७ सन्निहिओ (सन्निधितस्) द० १०।१६ सपंचरातिय (सपंचरात्रिक) नि० २०१४ सपंच राय (सपंचरात्र) नि० २०४७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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