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________________ वुसिरातिय-वेयाल २७५ वुसि रातिय (वृषिराजिन्) नि० १६। १३, १४।१५ वेणुसूई (वेणुसूची) नि० ५।१६ से २२ वसीम (वषीमत) उ०५।१८,२६ वेत्त (वेत्र) दसा० ६।३. व० १०।२,४ वुह (व्यूह) नं० ८२ वेत्तदंड (वेत्रदण्ड) नि० ५।२५ से ३३ वूहइत्ता (बहयित्वा) उ० ४१७ वेत्तपासय (वेत्रपाशक) नि० १२।१,२; १७।१,२ वृद्धि ( ) अ० ३६७ वेत्तपीढग (वेत्रपीठक) नि० १२।६ वेइय (वेदित) उ०१६।४७,४८,७१,७२,७४; Vवेद (वेदय)-वेदेति अ० ६०४ २९७२ वेदणा (वेदना) दसा० ६।५ वेइया (वेदिका) उ० २६।२६. अ० ४१० वेदिस (वैदिश) अ० ३६३ वेउट्टिया (दे) व० ४।२१,२३ वेन्ना (वेन्ना) अ० ३६३ वेउब्विय (वैक्रिय) अ० २७६,४४६ से ४४८, वेन्नायड (वेन्नातट) अ० ३६३ ४५२,४५५,४५८,४६३,४६५,४६७,४६६, वेमाणिय (वैमानिक) उ० ३४१५१, ३६।२०४, ४७२,४७७,४७८,४८०,४८३,४८७,४६१, २०५,२०६,२१६. अ० २५४,४४५,४५६, ४६५,४६७, ४६६,५०१,५०३,५०५. ५०२,५०३. प० ६,६२ प० १००,१२२,१३६,१७५,२८४ वेमाया (विमात्रा) उ० ७।२० वेउव्वियसमुग्घाय (वैक्रियसमुद्धात) प० १५ . Vवेय (वेदय)—वेएइ उ० २७॥३.-वेएज्ज वेंटय (वृन्तक) क० ५।३० से ३३ उ० २।३७ वेकत्तय (विकतक) दसा०६३ वेय (वेद) द० ६।४ सू० ४. उ० १२।१५,१४१६, वेग (वेग) उ० २३१६५,६६,६८; २७।६. प० २७, १२,२५।११,१४,१६,२८. नं०६७. अ० ४६, ५४८. प०६ वेजयंत (वैजयन्त) उ० ३६।२१५. दसा० १०॥१४ ।। वेयइत्ता (वेदयित्वा) दचू० १ ० १ वेजयंतय (वैजयन्तज) अ० २५४ वेयकाल (वेदकाल) उ० ४।४ वेज्ज (वैद्य) अ० ५७३ वेयछिन्न (छिन्नवेद) दसा० ६।३ वेज्जचिंता (वैद्यचिन्ता) उ० १५१८ वेयण (वेतन) अ० ३८३ । वेज्जय (वैद्यक) अ० ५७३ वेयणा (वेदना) उ० २।३२,३५; ३।६; ५।१२; वेडस (वेतस) प० १३० १६।३१,४५,४७,४८,७१,७३,७४, २०१६ वेढा (वेष्टा) नं०८१ से ११. अ० ५७१,५७२ से २१,३१ से ३३; २३१९१२६।३२। वेढिम (वेष्टिम) अनं० ३. अ० १०,३१,५४,७८, वेयणिज्ज (वेदनीय) उ० २६।४२,७३; ३३१२, १०३,५६०. नि० १२॥१७ २०. अ० २८२. दसा० ५७।१६. प० १०६, वेणइय (वैनयिक) द० ६।१२. नं० ८१ १२४,१३८,१८० वेणइयवाइ (वनयिकवादिन) नं० ८२ वेयणीय (वेदनीय) उ० ३३१७ वेणइया (वनयिकी) नं० ३८,७६ वेयरणी (वैतरणी) उ० १६०५६; २०१३६ वेणा (वेणा) प० १६१।३ वेयवि (वेदवित्) उ०२५२४ वेणु (वेणु) नि० १७।१३६ वेयविय (वेदवित्) उ० १४१८; १२२ वेणुदंड (वेणुदण्ड) नि० ५।२५ से ३३ वेधविउ (वेदवित) उ० २५७,३६ वेणुसूइया (वेणुसूचिका) नि० १।४०; २।२५ वेयाल (वेताल) उ० २०।४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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