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वियाणंत-विस्वस्व
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वियाणंत (विजानत्) द० ४.१३
विरज्ज (विरञ्ज)--विरज्जइ उ०२६।३ वियाणमाण (विजानत्) उ० १२।२३
विरज्जमाण (विरज्यमान) उ० २६३ वियाणय (विज्ञापक) नं० गा० १
विरत्त (विरक्त) उ० १३११७,३५; १४१४; वियाणित्ता (विज्ञाय) द. ५॥११. उ०१४।५० २०४१; ३२।३४,४७,६०,७३,८६,६६. दसा. वियाणिया (विज्ञाय) द० ८।३४. उ० ७.२२
५७१५; १०१३३ वियाणेत्ता (विज्ञाय) उ०.२५२२२
-विरम (वि--रम)-विरमेज्जा उ० २६११६ वियार (विकार) उ० ३२।१०४
विरय (विरत) आ० ४।६. द० ४ सू० १५ से ३३. ‘वियार (वि+चारय) - वियारेति दसा०
उ० २।६,१५,४२; १२।६; १५२२; २०१६०; ६।२।११
२११२०,२१, ३०१२; ३५॥१३ वियारभूमि (विचारभूमि) दसा० ३।३. प० २७२, विरली (दे०) ० ३६।१४७
२७.. क० १.३६,४१,४५,४६,४।१६; विरस (विरस) द० ५६८,१३३,१४२; १०।१६ ५।१५. व० ८।१४. नि० २।४०
विराइय (विराजित) प० २४ वियाल (विकाल) क० ११४२ से १६५।२५; विराग (विराग) उ० ३२।२६,३६,५२,६५,७८,
५।१०,१३,१४. व० ५।२१. नि० ३.८०; ८।१०।१०।२६
विराय (वि+राजय)-विरायइ उ० ११३१५. वियालणा (विचारणा) नं० ५४
-विरायई द० ८।६३ वियावत्त (व्यावतं) प० ८१
विरायंत (विराजमान) प० १०,२४ वियाह (व्याख्या) नं०८५. व. १०१२६
विराल (विडाल) दसा० ७।२४ वियाहचूलिया (व्याख्याचूलिका) नं० ७८. विरालिया (विरालिका) द०५।११८ व० १०१३०
-विराह (वि+राधय)-विराहेज्जासि द०४।२८ वियाहपण्णत्ति (व्याख्याप्रज्ञप्ति) नं. ६५,८०. विराहणा (विराधना) आ० ४।४,८,९. उ० २३४
अनं० २८. जोनं १०. अ. ५०,५४६ विराहय (विराधक) उ० २६।३० वियाहपण्णत्तिधर (व्याख्याप्रज्ञप्तिधर) अ० २८५ विराहित्ता (विराध्य) नं० १२५ वियाहिय (व्याख्यात) उ०६।१७; २४१३,१६) विराहिय (विराधित) आ० ४।३,४,५।२. उ० २६।५२२८।१५; ३०।१२,१४,२६,३२;
३६२५६ ३२११११; ३३।१०,१५,२०, ३६।२,८,९,१३, विराहेत्तु (विराध्य) उ० २०१४६,५० १४,१७,४७,५६,६१,६८,७१,७७,८६,६३, विरिय (वीर्य) उ० ६।२६ १००,१०६,१०६,११०,११३,११६,१३०, विरुद्ध (विरुद्ध) अ० २०,२६ १३२,१३४,१३६,१४१,१४३,१५१,१५३, विरुद्धरज्ज (विरुद्धराज्य) क० ११३७. १५५,१५८,१६० से १६७,१७३,१७५,१७६ नि० १११७२ १५२,१८४,१८६,१९६ से १९८,२०१,२०६, विरुह (
विरह.)-विरुहंति द०६।१८. २१२,२२२,२२३,२४४,२४५,२४८. अ० २९८, उ० १२११३ २६६,४१७
विरूवरूव (विरूपरूप) दसा० १०।२४ से ३३. विरइ (विरति) उ० १६०२५,२८, २९।६; ३१२२
नि० ८।१४; १११८१ १२।२९१६।२७ विरइय (विरचित) दसा० १०।११. प० २४,४२ १७४१५१
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