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________________ २६८ विभूसित-वियाण विभूसित (विभूषित) दसा० १०१३,२२,२२ विभूसिय (विभूषित) उ० १६; सू० ११; २२।६; ३२।१६. अनं० १४,१८. दसा० १०१११,१७. ५० २४,४२,५४. नि० ६९ विमउल (विमुकुल) नंगा० ३७ विमग्ग (वि+मार्गय)-विमग्गहा उ० १२।३८ विमण (विमनस) द० ५।८०. उ० १२१३०. प०८ विमल (विमल) आ० २।३; ५॥४॥३. द०६६८% ।१५. उ० १२१४६,४७, २०१५८; २३१७६. नंगा० १७,१६. अ० २२७. दसा० १०१११, १४. प० २३,२४,४२,१४८ विमाण (विमान) द. ६६८. उ०१४।१. अ० ४१०. ५० ८,१५,२०,३२ विमाणभवण (विमानभवन) प० ४ विमाणवास (विमानवास) ५०६ विमुंच (वि+मुच)-विमुच्चई ठ०६८ ‘विमुच (वि+मुच्)-विमुचंति अ० ३१५. -विमुच्चाइ दसा० ५७३ विमोक्खण (विमोक्षण) उ० ८।३।१४।४; १९८५; २५।१०।२६।१,१०,२१,३८,४१, ४६,४६ विमोय (वि+मोचय)-विमोएइ उ० २०१२४. -विमोयंति उ० २०१२३ विमोयणा (विमोचन) उ० २६७२ विमोह (विमोह) उ० ५।२६ विम्हय (विस्मय) उ० २०१५,१३ विम्हयकर (विस्मयकर) ३० ३१२ विम्हाव (वि-न-स्मापय)-विम्हावेति नि० वियक्खण (विचक्षण) द० ५।२५; ६।३; ८।१४. उ० २१११६; २६।११,१७ वियट्टछउम (विवृत्तछम) प० १० वियड (विकट, विकृत) द० ५१२२, ६।६१. उ० २१४. दसा० ६।३;७।२३. क. २॥५. नि० १११६; २।२१, ३।२०,२६,३२,३६ से ३६,५४,६३,४१५८,६४,७०,७४ से ७७,६२, १०१,२१४६७,१५,२६,३५,४१,४५ से ४८,६३,७२,७।१८,२४,३०,३४ से ३७,५२, ६१,११११५,२१,२७,३१ से ३४,४६.५८%; १४।१२,१३,१६,१७; १५॥१७,२३,२६,३३ से ६६,५१,६० १०३,१०६,११५,११६ से १२२, १३७,१४६; १७११६,२५,३१,३५ से ३८,५३, ६२,७३,७६,८५,८६ से १२,१०७,११६; १८१४४,४५,४८,४६१६१ से ७ वियडग (विकटक) प० २४०,२५६ वियडगिह (विकटगृह) दसा० ७.१० से १२. ५० २५५ से २५८. क०२।११,१२ वियडभाव (विकटभाव) द० ८।३२ वियहभाइ (विकटमोजिन) दसा० ६।१२ से १८ वियत्त (व्यक्त) द० ६।६. नं०गा० २० विययपक्खि (विततपक्षिन) उ०३६।१८८ वियर (वि+त)-वियरति नि० २३९. -वियरिज्जइ उ० १२६१०.–वियरेज्जा प० २७१. क० ४।१६. व० १११६ वियरंत (वितरत्) नि० ११३६,४०; १४१५; १८१३७ वियसिय (विकसित) प०१० वियागर (वि+आ+)-वियागरे द० ७.३७. नं० ५४।४ इवियाण (वि+ज्ञा)-वियाण अ० ३८०. -वियाणई द० ४।१३.-वियाणह उ० ७.१५. -वियाणाइ उ० २७१२.-वियाणासि उ० २५॥१२.–वियाणाहि उ० ४११. -वियाणिज्जा उ० ३५।२ विम्हावेत (विस्मापयत्) उ० ३६।२६३. नि० ११६७,६८ विय (व्यक्त) द० ८।४८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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