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________________ २०६ पुप्फचूला-पुरिससीह पुप्फचूला (पुष्पचूला) प० ११८ पुप्फचूलिया (पुष्पचूलिका) नं० ७८. जोनं०६ पुप्फदंत (पुष्पदन्त) आ० २।३; ५।४. ___ नं० गा० १८. प० १५२ पुप्फभोयण (पुष्पभोजन) दसा० २।३ पुप्फमालिया (पुरुषमालिका) नि० ७.१ से ३; १७३ से ५ पुप्फय (पुष्पक) नि० २१४३ पुप्फवीणिया (पुष्पवीणिका) नि० ५।४४,५६ पुल्फिया (पुष्पिका) नं० ७८. जोनं० ६ पुप्फुत्तर (पुष्पोत्तर) प० २ पुप्फोदय (पुष्पोदक) दसा० १०।११. ५० ४२ पुप्फोवय (पुष्पोपग) नि० ३।७६ पुम (पुंस्) द० ७।२१, ६।५२ पुमत्त (पुस्त्व) उ०१४।३. दसा० १०१२६ से ३२ पुर (पुर) उ०६।४; १४११,२०।१४,१८. अ० ३५४. ५० ५२,६४,७४ पुरओ (पुरतस्) द० ५।३; ८।४५. उ० १११८. नं०१२,१६. दसा० ३।३; १०।१४,१६,१६, २०,२४ से ३२. प० ४७,६६,२७१,२७३, २७४,२७५. क. ३१३. व० ४।११,१२; ५।११,१२. नि० ८।११ पुरओअंतगय (पुरतःअन्तगत) नं० ११,१२,१६ पुरं (पुरस्) दसा० १०।२८ पुरंदर (पुरन्दर) उ० ११।२३,२२।४१. प० ८ पुरक्कार (पुरस्कार) दचू० १ सू० १ पुरतो (पुरतस) दसा० ३।३; ६।१८; १०।२४ पुरत्य (पुरस्तात् ) द० ८।२८ पुरत्थओ (पुरस्तात्) उ० ३२।३१,४४,५७,७०, ८३,६६ पुरत्थाभिमुख (पुरस्तादभिमुख) दसा० १०।३. प०१०।४२ पुरत्थिम (पौरस्त्य, पूर्व) क० १।४७ पुरवर (पुरवर) अ० ५६६ पुरा (पुरा) उ० १३१६; १४१२०; १६॥६,१३. दसा० १०१२४ से ३३. प० ५१ पुराकय (पुराकृत) उ० १४१२; १६।८ पुराकाउं (पुरस्कृत्य) उ० ७।२४ पुराण (पुराण) द०६।४।४; १०१७. उ० ८।१२; १४।१।२०।१८. नं० ६७. अ० ४६,५४८ पुरिम (पूर्व) उ० २३१२६,२७,८७,२६।२५ पुरिमड्ढ (पूर्वार्ध) आ० ६।३ पुरिमताल (पुरिमताल) उ० १३१२. अनं० २८. प० १६६ पुरिस (पुरुष) द० ५१२६,७।१६,२०. उ० ६।१; ८/६,१८; १३।३१; १४।१४,३८. ३०।२२,३६१५१. नं० १२ से १५,१७,५२, ५३,६६. अ० २६४,३५७,३६०,५२८,५२६, ५५५,५५६,७१३. दसा० ६३; ७।१६; ६।२६; १०॥३,४,७,११.१४,२४ से ३२. प० १०,४१ से ४४,११३,१२६. व० ५।२१, ६१८,६. नि० १२।२६; १७११५१ पुरिस इज्ज (पुरुषकीय) अ० ३२२ पुरिसकारिय (पुरुषकारित, पुरुषकारिय) द० ५।१०६ पुरिसजात (पुरुषजात) दसा०६।३,४,६ पुरिसजाय (पुरुषजात) व० १०१७ से १४ पुरिसजुग (पुरुषयुग) ५० १०५,१२३,१३७, १७६ पुरिसज्जाय (पुरुषजात) दसा० १०।२४,२७ से पुरिसरूव (पुरुषरूप) क० ५।३,४ पुरिसलिंगसिद्ध (पुरुषलिङ्गसिद्ध) नं० ३१ पुरिसवरगंधहत्थि (पुरुषवरगन्धहस्तिन्) अ०६।११. प० २० पुरिसवरपुंडरीय (पुरुषवरपुण्डरीक) आ० ६।११. प०१० पुरिसवेय (पुरुषवेद) अ० २७५ पुरिससागारिय (पुरुषसागारिक) क० १२२७,२८ पुरिससिद्ध (पुरुषसिद्ध) उ० ३६।४६ पुरिससीह (पुरुषसिंह) आ० ६।११. ५० १० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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