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________________ नेतम्व-पउंज १७३ ६२४,६३६,६४८,६७४,७०१,७१५ नोइंदियपच्चक्ख (नोइन्द्रिय प्रत्यक्ष) नं० ४,६. अ० नेतब्ध (नेतंव्य) ५० १२८ ५१६,५१८ नेतु (नेतृ) दसा० ६।२।१६ नोउस्स प्पिणी (नोउत्सपिणी) नं०६६ नेत्त (नेत्र) उ० १२।२६. दसा० ६।३ नोओसप्पिणी (नोअवसर्पिणी) नं० ६६ नेत्र ( ) अ० ५२६ नोकसाय (नोकषाय) उ० ३३।१० नेमि (नेमि) नं० गा० १६ नोकसायज (नोकषायज) उ० ३३।११ नेमित्तिय (नैमित्तिक) अ० ५७३ नोखंध (नोस्कन्ध) अ० ५५७ नेिय (णी)-नेइ उ० २६।१६ नोगोण्ण (नोगौण) अ० ३१६,३२१ नेरइय (नैरयिक) द०४ सू०६; चू० १११५. नोजीव (नोजीव) अ० ५५७ उ० १०॥१४; २६५३३।१२; ३४।४४; ३६। नोसामाइय (नोसामायिक) अ० ७१४ १५५ से १५७,१६७,१६८. नं० ७,२२. अ० २५४,२७५,४०१ से ४०३,४३२,४३३,४४५, पइ (पति) उ० १४।३६. नं० ३८।३ ४४७,४५६,४६२ से ४६४,४६६,४६४,४६८, पइ (प्रति) उ० ३०।१२ ५००,५०२,५०४,५६६. दसा०६५ से ७ पइगिज्झ (प्रतिगा) उ० २११३ नेरइयाउय (नैरयिकायुष्क) अ० २८२ पइट्ठा (प्रतिष्ठा) आ० ६।११. उ० २३१६५,६८. नेवत्थ (नेपथ्य) वसा० ६।१८ नं० ४६.५० १० नेसज्जिय (नषधिक) दसा० ७२८.५० १३८ पइट्ठाण (प्रतिष्ठान) अ० ३०१ नेसज्जिया (नषधिका) क० ५२२३ पइट्ठिय (प्रतिष्ठित) द० ४ सू० २२. उ० ३६।५५, नेसाय (निषाद) अ० २६८,२६६,३०० ५६,६३. दसा० २३. प० २८,३३. नि० नेसायसरमंत (लिषादस्वरवत्) अ० ३०२७ १।१०,७१७५; १३१८; १४।२७; १५।६ से १२; नेह (स्नेह) उ० १३।१५, २३।४३, २६।४६ १६।८ से ११,४८; १८१५६,६१ नेपातिकम् ( ) अ० २७० पइण्णग (प्रकीर्णक) उ० २८।२३. नं० ७६ नो (नो) द० २।४. उ०१।११. नं० २३. अनं० पइण्णतव (प्रकीर्णतप) उ० ३०।११ ७. अ० २. दसा० ३।३. प० २३२. क० १११. पइण्णवाइ (प्रकीर्णवादिन) उ० ११६ व० १११६ पइण्णा (प्रतिज्ञा) उ० २३३३३ नोआगमओ (नोमागमतस) अ० १२,१५,२१,२२, पइण्णि (प्रतिज्ञावत्) उ०६९ २४,२७,३३,३६,४५,४६,४८,५०,५६,५६,६६, पइप्प (प्र+दीप)-पइप्पए अ० ६४३ ७०,७२,८०,८३,६२,६५,६७,६६,१०५,१०८, पइरिक्क (प्रतिरिक्त) उ. २२३; ३५॥६. प० ५८ १५४.५६२.५६५.५६८,६१४,६२२,६२५, पइरिक्कया (प्रतिरिक्तता) दच० २१५ ६२८,६२६,६३१,६३४,६३७,६४०,६४१, पइविसेस (प्रतिविशेष) नं० १६. अ० ११,३२, ६४३,६४६,६४६,६६४,६६५,६६७,६६६,६७२, ५५,७६,१०४,५६१ ६७५,६६०,६६१,६६३,६६५,६६६,७०२,७०५, पईव (प्रदीप) द० ६।३४. उ० ३४१७ नं० १२ से ७०६,७०८ १५.५० २७,३२. क० २१७ नोआगमतो (नोआगमतस) अनं० ५,७,२२ पिउंज (प्र+युज)-पउंजइ दसा० ६३. नोइंदिय (नोइन्द्रिय) नं० ४२,४४,४६,४८,५६ -परंजंति उ०८।१३. प०७३. -पउंजति N Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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