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________________ १६६ निग्गंथत्त-निज्जर २२० १२३ से ६२, १८५,२२८,२२६,२३१,२३२,२३६, निग्गय (निर्गत) उ०७।१४; १२।२६; १९८७%; २५१,२५५ से २५८,२६० से २७०,२७८ से २७।१२. नं० गा० ३३. दसा० ५।६।६।१. ५० २८६. क० १११ से ३,६,७,१०,११,१३,१५, ४२,१८७,१६०,१६४,१६५,१९७ से २०२, १७ से २१,२४ से २७,३०,३२,३५ से ३६, २०४,२०५,२०८,२१० से २१३,२१५,२१८ से ४२ से ४५,४७; २।१ से १०, १२,१४ से १७, निग्गहण (निग्रहण) ३० ३।११ २८,२९,३।१,२,४ से ११,१४,१६ से २१,२३ निग्गाहि (निग्राहिन) उ० २५।२ से २८,३३,३४,४१११ से १४,२६,३१ से निग्गुण (निर्गुण) दसा० ६।३ ३४,५२१,२,१० से १२,२५,२७,२६,३१,३३, निग्धाएमाण (निर्घातयत्) २०६८,६ ३५ से ३६६।१,३ से १८. व. ३।३ से ११; निग्घाय (निर्घात) अ० २८७ ५।१६,१६ से २१४६१८ से ११,७१ से ६, निग्घायण (निर्घातन) आ० ५।३. अ० ३१०।२. ११,१२,१४ से २१,२३,२४; ८१६ से १७; प० ८० १०१६,१६,२१ से ३६,४१ नि० १७।१५ से निग्घोस (निर्घोष) ५० ६४,७५ निघंटु (निघण्टु) ५०६ निग्गथत्त (निग्रन्थत्व) द० ६७ निचय (निचय) प० ३० निग्गंथी (निर्ग्रन्थी) उ० २६।३३. दसा० ५७; निचित (निचित) अ० ४१६ ६।२१०१२२,२३,२५,२७ से ३२,३४. १० निच्च (नित्य) द० ५।१३६, ६।२२; ८।३,११,१६, ६० से ६२,२३१,२३६,२५१,२५७,२५६ से ५३; ६।१२,४४; ६।४।१,४; १०११,१२,२१; २६२,२६४ से २७०,२७८ से २८६. क. चू० २०१५. उ० ११४४; २।२८; ११११४; १११,२,४,८ से १२,१४,१६,१८ से २३,२५, १३।३१; १४।१६; १५॥३; १७।१०; १६॥३, २८,२९,३१,३३,३५ से ३७,४० से ४४,४६, २६,,७१; २३१८८३१ से २०. नं० गा०६, ४७; २०१ से ११,१४ से १७,२८,२६३।१ से ४०; सू० ७१,१२६. दसा०६।५; ७१४,२६, ३,५ से १०,१२,१३,१५ से २१,२३ से २७, २७,३२. ५० ३२,७७,११४,१३०. ५० १०१२, ३३,३४,४।१०,१२,१३,२६,३१ से ३४; ५१३,४,१०,१३ से १६,२१ से २४,२६,२८,३०, निच्चभत्तिय (नित्यभक्तिक) प० २३६,२४४ ३२,३४,३६ से ३६; ६।१,३ से १८. व० निच्चल (निश्चल) उ० २२।४७. ५० ५३ ३११२,५।११,१२,१५,१६,२०, ६।१०,११, निच्चसंदणा (नित्यस्यन्दना) प० २३२ ७१ से १०,१३,१४ से २१; ८।६ से १२, निच्चसी (नित्यशस्) उ० ३।७,१०,१४ १६:१०१२१ से २४. नि० १२१७; १७।१५ से निच्चोयगा (नित्योदका) प० २३२ १२२,१२४ निच्छय (निश्चय) उ० २३।३३ निग्गच्छ (निर+गम)-निग्गच्छइ दसा० १०॥ निच्छिण्ण (निस्तीर्ण) उ०३६।६७ १६. प०७५.-निग्गच्छंति प० ४४ निच्छिय (निश्चित) वचू० १७ निग्गच्छमाण (निर्गच्छत्) बसा० १०११८ निच्छीर (निःक्षीर) अ० ५६६२ निग्गच्छित्ता (निर्गस्य) दवा० १०११६.५० ४४ ।। निच्छूढ (निष्ठ्यूत) नं० ६० निग्गत (निर्गत) दसा० १०१६ निज्जत (निर्यत्) उ० २२।१४ निग्गम (निर्गम) अ० ७१३ -निज्जर (निर्+ज)-निज्जरिज्जइ उ० ३०।६. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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