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________________ निदा-निर्गव १६५ १४ निंदा (निन्दा) उ० १२।३०; १९६०; २६।६ -निक्खिप्पिस्सइ अ० ७०६.-निक्खिवाहि निदिय (निन्दित) आ० ४।६ व० ४।१३.-निविखविस्सामि अ० ७.--- निंब (निम्ब) उ० ३४।१० निक्खिवे द० ५।८५. अ० ७.--निक्खिवेज्जा निंबय (निम्बक) अ० ३४७ उ० २४।१४ निकर (निकर) ५० २१,२३,२६ निक्खिवंत (निक्षिपत) उ०१४।१३ निकस (निकष) अ० ५२४ निक्खिवमाण (निक्षिपत्) व० ४।१३,१४; ५।१३, निकाइय (निकाचित) नं० ८१ से ६१,१२३ निकाय (निकाय) द०४ सू० ६,१० अ० ७३ निक्खिवित्ता (निक्षिप्य) क० ४.१७. व. ३।१५ निकेय (निकेत) उ०३२।४ निक्खिवित्ताण (निक्षिप्य) उ० २६।३६ निक्कंख (निष्काङ्क्ष) उ० २६।३५ निक्खिवित्ताणं (निक्षिप्य) द० ५।३० निक्कंखिय (निष्काक्षित) उ० २८।३१ निक्खिवित्तु (निक्षिप्य) द० ५।४२ निक्कस (निस । काश)-निक्कसिज्जइउ० निक्खेव (निक्षेप) अ० ७,७५,६१८,७०६ १४.--निक्कसिज्जई उ० ११४ निक्खेवनिज्जुत्ति (निक्षेपनियुक्ति) अ०७११,७१२ निक्कोर (निर+कोरय)-निक्कोरावेति नि० निगच्छ (नि+गम)-निगच्छइ दसा०१०।१७. १४१३७.-मिकोरेति नि० १४१३७ -निगच्छंति वसा० १०॥४.-निगच्छति निक्कोरिय (निक्कोरित) नि० १४।३७; १८।६६ दसा० १०।२४ निक्खंत (निष्क्रान्त) ८० ८।६०. उ० १८।१६, निगच्छित्ता (निगत्य) दसा० १०।४ ४४,४६; २५४४२. नं० गा० ३२. अ० १७, निगम (निगम) उ० २।१८; ३०११६. दसा० ३८,६१,८५,११०,५६७,६२७,६३६,६५१, ६।२।१६.५० ४२. क० ११६. व० ११३३; ६७७,७०४. दसा० ३।३. क० ११३६,४१. ३० ४।६,१० निगर (निकर) अ०७३ निक्खम (निर+क्रम)-निक्खमई उ० २२।२३. निगामसाइ (निकामशायिन्) द०४।२६ -निक्खमंति प० १२.-निक्खमति नि० निगामसेज्जा (निकामशय्या) आ० ४१५ ८।१४.—निक्खमसू उ० २५॥३८. निगिज्झिय (निगृह्य) प० २५५ से २५८. व० निक्खमिसु प० १२.-निक्खमिस्संति प० १२. ६।२० -निक्खमे द० ५।१०४. उ० १।३१ निगिण्ह (नि+ग्रह)-निगिण्हाइ उ० २८॥३५. निक्खमंत (निष्क्रामत्) उ० ३२।५०, नि० ८।१४ -निगिण्हामि उ० २३।५६ निक्खमण (निष्क्रमण) उ० २२।२१. प० १२,१४, निगढ (निगूढ) प० २४ ७४,२२२।६. क० १।१० /निगूह (नि+-गृह)-निगूहेज्जा दसा० निक्खमित्तए (निष्क्रमितुम्) बसा० ७॥१६. ५० ६२।७ २३६. क० ११४५. व० ८।५ निगोय (निर्गोत्र) अ० २८२ निक्खमिय (निष्क्रम्य) उ० २२।२२ निग्गंथ (निर्ग्रन्थ) आ० ४।६. द. ३११,१०,११, निक्खम्म (निष्क्रम्य) २०१०।१,२०.५० २४० ६।४,१०,१६,२५,४६,५२,५४. उ०१६ सू० निविखत्त (निक्षिप्त) ८० ५१५६,६१. अ० ७०६ ३ से १२, २११२; २६।१,३३. नं० ८१. दसा० निक्खिव (नि+क्षिप)-निक्खिप्पइ अ०७०६. ५१७; ६।१८ ।२; १०१२२ से ३४. ५०६० ८।१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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