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________________ ११६ चित्तपत्तय-चेइय चित्तपत्तय (चित्रपत्रक) उ० ३६।१४८ चुचुमालइय (दे०) ५० ३८ चित्तभित्ति (चित्रभित्ति) द० ८१५४ चुडलिया (दे०) नं० १२ से १५ चित्तमंत (चित्तवत्) द० ४ सू० ४ से ८,१३,१५; चुण्ण (चूर्ण) प० २०,६१. नि० १।५; ३।१६,२५, ६।१३. उ० २५१२४. दसा० २।३. नि० ३१,५३,६२; ४१५७,६३,६६,६१,१००, ६६, ७१७२ से ७४; १३१५ से ७; १४।२४ से २६; २८,३४,४०,६२,७१; ७/१७,२३,२६,५१,६०; १६।४५ से ४७; १८१५६ से ५८ ११।१४,२०,२६,४८,५७; १४।१४,१५,१८, चित्तमाला (चित्रमाला) दसा० १०।१२ १६; १५।१६,२२,२८,५०,५६,१०२,१०८, चित्तसंभूइज्ज (चित्रसम्भूतीय) उ० १३ ११४,१३६,१४५; १७।१८,२४,३०,५२,६१, चित्तसमाहिट्ठाण (चित्तसमाधिस्थान) दसा० ५।१ ७२,७८,८४,१०६,११५; १८।४६,४७,५०,५१ से ३,७ चुण्णपिंड (चूर्णपिण्ड) नि० १३।७४ चित्तहर (चित्रगृह) उ० ३५।४ चुणिय (चूर्णित) उ० १९६७ चित्ता (चित्रा) उ० २२।२३. अ० ३४१. दसा० चुत (च्युत) अनं०८ १०।११. ५० १२६ से १३०,१३८ चुय (च्युत) द० १३,२३. उ० ३।१६; ७।१० चित्ताण्य (चित्तानुग) उ० १।१३ १४।१; १८।२६; २०१४७. अ० १६,३७,६०, चिय (चित) उ० ७।७. अ० ३८१,५५५ ८४,१०६,५६६,६२६,६३८,६५०,६७६,७०३. चियत्त (दे०) द० ५।१७,६५ दसा० ७.१७;८।१.५० १,३,५४,५६,१०८, चियत्तदेह (त्यक्तदेह) प. ७७,११४,१३०,१६६ ११०,१२६,१६०,१६२ चिया (चिता) उ०१६।५७ चुयअचुयसेणिया (च्युताच्युतश्रेणिका) नं० १०० चिरं (चिरम्) दचू० १।१६. उ० २०४१ चुयअचुयावत्त (च्युताच्युतावर्त) नं० १०० चिरकाल (चिरकाल) दचू० १ ० १. उ० १०६४ चुयाचुयसेणिया (च्युताच्युतश्रेणिका) नं० ६३ चिरद्वितीय (चिरस्थितिक) दसा० १०२४ से ३२ चुलणी (चुलनी) उ० १३।१ चिराधोय (चिराद्धौत) द० ५।७६. चू० १ चुल्लकप्पसुय (चुल्लकल्पश्रुत) नं० ७७. जोनं० ८ सू० १ चुल्ल पिउ ('चुल्ल' (क्षुल्ल) पितृ) द्र० ७१८ चिलाइया (किरातिका) नि० २६ चुल्लवत्थु ('चुल्ल'वस्तु) नं० ११८१३,१२३ चिलातिया (किरातिका) दसा० १०।१२ चूडामणी (चूडामणि) उ० २२११० चिलिमिलि (दे०) नि० ११४२०१३ चूयवण (चूतवन) अ० ३२४. नि० ३७६ चिलिमिलियाग (दे०) क० १।१४ चूला (चूडा) नं० गा० १७ चिल्लल (दे०) दसा० ७।२४ चूलियंग (चूलिकाङ्ग) अ० २१६,४१७ चीणंसुय (चीनांशुक) अ०४३. दसा० १०॥१२. चूलिया (चूलिका) दचू० २.१. नं० ६२,११८।३, नि० ७.१० से १२; १७:१२ से १४ १२२. अ० २१६,४१७ चीर (चीर) उ० ५।२१ चूलियावत्थु (चूलिकावस्तु) नं० १०५ से १०८, चीरल्लपोसय ('चीरल्ल'पोषक) नि० ६।२३ ११८ चीरिय (चोरिक) अ० २०,२६ चे (चेत्) दचू० १।१६. उ० १६ सू० ३ चीवर (चीवर) उ० २२।३४. नि० १०॥४१ चेय (चैत्य) उ०६।६,१०,२०१२. नं. ८६ से चीवरधारि (चीवरधारिन्) ५० ७६ ८६,६१. दसा० ५।५।६।११०११,६,११,१५, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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