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________________ १०६ गिम्हय-गुंजालिया ८।२ ८०,८१,१०६,११५,१३८,१६१,१६३,१६५; । गिहवार (गृहद्वार) नि० ३।७१ २२२१५,२७६. क० ११६ से ६,३६; २।२,९; गिहपडिदुवार (गृहप्रतिद्वार) नि० ३७१ ४।३१,३२. २०४१ से ४,६५।१ से ४,६%3 गिहमुह (गृहमुख) नि० ३७१ गिहवइ (गृहपति) ३० ५।१६ गिम्हय (ग्रीष्मज) अ० ३३४ गिहवच्च (गृहवर्चस्) नि० ३।७१ गिरा (गिरा) द० ७।३,५,५२,५४,५५; ६।१२. गिहवास (गहवास) ० चू० १ सू० १. उ० उ० १२॥१५. ५० ३६,३७. नि. १९।२५ - ५२४; ३५।२ गिरि (गिरि) ८० हाच० १११७. उ० गिहि (गहिन) ० ३१६; ६।१८, ८५०; ११।२६; १२।२६; १९४१; २२।३३. अ० ६।३०,५२ चू० १ सू० १; चू० २।६. उ० २६४।४,३५२,३६३,५३३।१, ७०८।५ ७२०; १५।१०; १७।१६.५० २३८ गिरिकंदर (गिरिकन्दर) ५० ५१ गिहिजोग (गृहियोग) २० ८।२१; १००६ गिरिजत्ता (गिरियात्रा) नि० ६।१७,१८ गिहिणिसेज्जा (गहिमिषद्या) नि० १२।१३ गिरिनगर (गिरिनगर) अ० ३६२ गिहितिगिच्छा (गहिचिकित्सा) नि० १२।१४ गिरिपक्खंदण (गिरिप्रस्कन्दन) नि० १११६३ गिरिपडण (गिरिपतन) नि० १११६३ गिहिधम्म (गृहिधर्म) अ० २०,२६ गिरिमह (गिरिमह) नि० ८।१४ गिहिभायण (गृहिभाजन) द० ६।५२ गिलाण (ग्लान) उ० ५।११. दसा ।।२८. गिहिभूय (गृहिभूत) व० २।१६, २१ से २३ प० २३७,२३६.५० १०॥४०. नि० १०॥३३ गिहिमत्त (गृह्यमत्र) द० ३।३. नि० १२।११ से ३३, १६५ गिहिलिंग (गहिलिंग) उ० ३६।४६,५२ गिलाणभत्त (ग्लानभक्त) नि०६६ गिहिलिंगसिद्ध (गृहिलिंगसिद्ध) नं० ३१ गिलायमाण (ग्लायत) दसा० ४।२३. क० ४११०, गिहिवत्थ (गहिवस्त्र) नि० १२।१२ ११. व. २१५ से १७; ४।१३, ५।१३ गिहिसंथव (गृहिसंस्तव) द० ८।५२ गिलित्ता (गिलित्वा) द० चू० ११६ गिहेलुय (गहलुक) नि० ३७१; १३३६; १४१२८, गिल्लि (दे०) अ० ३६२. दसा० ६।३ १६।४६; १८१६० गिह (गह) द०७।२७. उ०६७,२४; १३।१३, गीत (गीत) दसा० १०।२४ २४; १४१७,६,२१,१५१६; ३५८,६. गीतजुत्तिण्ण (गीतयुक्तिज्ञ) अ० ३०२।३ अ० ५५६.५० १५,४३,५१,११०. गीय (गीत) उ० १३।१४,१६; १६ सू० ७; क० ४।२७. नि० ११५५; ३७१, ६।१२. गा० ५,१२. अ० ३०७१ से ३, ५ से ७. गिहंगण (गृहाङ्गन) नि० ३।७१ दसा० १०११८.५० ६,७५ गिहतरनिसेज्जा (गृहान्तरनिषया) द० ३।५। गीयट्ठाण (गीतस्थान) नि० १२।२७; १७॥१४६ गिहकम्म (गृहकर्मन्) उ० ३५।८ गीवा (ग्रीवा) उ० ३४।६. अ० ६१३ गिहत्थ (गृहस्थ) द० ५।१४०,१४५. उ० २।१६; गुंजंत (गुजत्) ५० २५ ५।२२,२८; २३।१६; २५।२७. ५० ७४,११३. गुंजद्ध (गुजाध) दसा० ७।२० नि० १२११६ गुंजा (गुञ्जा) अ० १६,२०,३८४ गिहत्थसंसट्ठ (गहस्थसंसष्ट) आ० ६६,१० गुंजालिया (गुजालिका) अ० ३६२. नि. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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