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________________ ८० कइ-ककुहि अ० ११. दसा० ३।३. क० ११३६. व० ४।४८ ३३,६०. नं० १२५ कइ (क्वचित्) द० चू० २।१४ कंतारभत (कान्तारभक्त) नि० ६।६ कइ (कति) अ० १२८,१४५.१७२,२१३,३०।१, कंति (कान्ति) दसा० १०।१६. ५० ७५ ४४६,४४८,४५०,४५२,४५५,७१३।२ कंथग (कन्थक) उ० २३१५८ क इ (कवि) अ० ३०२।२ कथय (कन्थक) उ० ११।१६ कइय (ऋयिक) उ० ३५।१४. २०७।२४ कंद (कन्द) द० ३१७. उ० ३६।९७,६८. नि० कइविह (कतिविध) अ०४४१ मे ४४४, ७१३।२ १४।३४; १८१६६ कउह (ककुद) दसा० १०।१६ कंद (क्रन्द)-कन्दन्ति उ०६।१० कओ (कुतस्) उ०६।१०. अ० ३.७१ कंदंत (क्रन्दत्) उ०१६।४६ कंकड (कङ्कड) दसा० १०।१४ कंदप्प (कान्दर्प) उ० ३६।२५६,२६३ किंख (काङ्क्ष) --कंखइ दसा १०।६. ----कंखए कंदप्प (कन्दर्प) उ० ३६।२६३ उ० ५।३१. --कंखंति दसा० १०१६. -कखे कंदप्पिया (कन्दपिका) दसा० १०॥१४ उ०४।१३ कंदभोयण (कन्दभोजन) दसा० २।३ कंखा (काङ्क्षा) उ०१६ सू० ३ से १२. दसा० कंदर (कन्दर) नं० गा० १४. ५० ५१ ४१८ कंदली (कन्दली) उ० ३६।९७ कंखामोहणिज्ज (काक्षामोहनीय) उ० २६।२१ कंदिय (क्रन्दित) उ० १६ सू०७; १६३५ कंखिय (कांक्षित) दसा० ४।१८ कंदु (कन्दु ) उ० १६६४६,५१ कंचण (काञ्चन) उ० ३५॥१३. वसा० १०।१४. कंपण (कम्पन) अ० ३१६।२ प० २६,३२,८०. कंपिल्ल (काम्पिल्य) उ० १३१२,३; १८११,३. कंचनकोसी (काञ्चनकोशी) वसा० १०।१४ नि० ६।२० कंचुइज्ज (कञ्चुकीय) नि० ६२८ कंबल (कम्बल) द०६।१६,३८८।१७. अनं० कंचुय (कञ्चुक) उ०६।२२; १९८६ २१. अ० ६६३,६८६. क० ११३८ से ४१, कंटग (कण्टक) उ० १०॥३२; १९५२ ४३. नि० ५।६५; ७।१० से १२,८८,८६, कंटय (कन्टक) द० ५८४; ६।४६,४७. दसा १५१७७,८०, ८१,८४,८५,८८,८६,६२,६३, __७१८. क० ६।३,५ ६६,६७,१५३,१५४; १६।१६,२०,२६; कंठ (कण्ठ) उ० १२१६, १८,२०१४८. अ० १७।१२ से १४. ५० २७७ २६६।१, ३०७१७. दसा० १०॥३,१२ कंबोय (कम्बोज) उ०११।१६ कंठमालकड (कण्ठेमालकृत) दसा० १०१३,२४ । कंस (कांस्य) द० ६।५०. उ०६।४६. अनं० १३, कंठोठ्ठ विप्पमुक्क (कण्ठोष्ठविप्रमुक्त) अनं ६ अ० १३, १७ कंड (काण्ड) अ० ४१० ३४,५७.८१,१०६,५२३, सवाल कंसपाई (कांस्यपात्री) १० ७८ कंत (कान्त) द० २।३. नं० गा० १७. दसा० कंसपाय (कांस्यपात्र) द०६।५०. नि० ११११ से ३ १०।१२.१८. ५० ६,२२,२४,२५,२६,३०, कंसबंधण (कांस्यबन्धन) नि० १११४ से ६ ३६,३८,३६,४७,७३,७४ ककुह (ककुद) अ० ५२५. ५० २२ कतार (कान्तार) उ० १९४६; २७।२; २६।२३, ककुहि (ककुदिन) अ० ३२७।१ सताल (कांस्यताल) नि० १७१३ कंडुसग (दे०नि० ६३५,६४७,६७३, ७००, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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