SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1071
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एसणागोयर-ओभासंत ७७ उ० ११३२, २।४; ६।१६; ८।११, १२।२; २०१४०; २४।२,१२; ३०।२५ एसणागोयर (एषणागोचर)क० ६.१६ एसणासमिइ (एषणासमिति) आ० ४।६,८ एसणासमित (एषणासमित) दसा० ५७; १०।३२ प० ७८ एसणिज्ज (एषणीय) उ० १२।१७; १६।२७; ३२।४. दसा० १०॥३१ एसणिय (एषणीय) द० ५।३६,३८; ६।२३ एसमाण (एषयत्) उ० १४।१४ एसित्ता (एषित्वा) उ० ११३२ Vएह (एध) -एहए उ०६।३५ एह (एस) उ० १२१४३,४४ एहंत (एधमान) ० ६।२२ से २४, २६ से २८ ओ ओ (ओ) अ० २६४।२ ओअंत (ओअन्त) अ० २६४।२ ओइण्ण (अवतीर्ण) उ० ५.१४; १०॥३२; १६॥५५; २२।२३ ओंकार (ओंकार) उ० २५२६ ओकसमाण (अवकृष्माण) क० ६१८ ओकसमाण (अव+कृष)--ओकसावेति नि० १८।१३ ओकार (ओकार) अ० २६४१२ ओकिण्ण (अवकीर्ण) अ० ३१३३२ ओगाढ (अवगाढ) उ० २४।१४; ३६।२५८,२५६. अ०१५६,१६३ १६३,१६४,३८७,५५६ ओगाढवत्त (अवगाढावर्त) नं. ६७ ओगाढसेणियापरिकम्म (अवगाढश्रेणिकापरिकर्मन) __ नं० ६३,९७ ओगास (अवकाश) द० ५।१६ ओगाह (अवगाह) उ० २८९ ओगाह (अव+गाह.)-ओगाहइ उ०२८।२१. -ओगाहेज्जा अ० ३६८. क० ५।१४ ओगाहणा (अवगाहना)उ० ३६।५०,५३,६२,६४. नं० १८।१. अ० ४०१. से ४०३,४०५,४२४, ४३१,४३८. ओगिज्झ (अवगृह य) व० ८२ ओगिण्ह (अव-ग्रह)-ओगिण्हति दसा० ४।१०. ५० ३८ ओगिण्हित्तए (अवग्रहीतुम्) दसा० ७।२१ व० ८।११ ओगिण्हित्ता (अवगृह्म) ५० ३८. व० ८।१० ओगेण्हणया (अवग्रहणता) नं० ४३ ओगेण्हियन्व (अवग्रहीतव्य) व० ७।२५ ओग्गह (अवग्रह) द० ५।१८; ६।१३; ८।५. दसा० १०।३५० ३६.० ११३८ से ४२; ३।२७ से ३२,३४. व०४।२० से २३; ७।२२, २५ से २८,८१५ से १२ ओग्गह (अव+ग्रह)-ओगिण्हइ व० ६।४ ओग्गहमति (अवग्रहमति) दसा० ४।१० ओग्गहमतिसंपदा (अवग्रहमतिसंपदा) दसा० ४१६ ओग्गहिय (अवगृहीत) व० ६।४५,४६ ओघ (ओघ) द०६।४०. उ० २११२४. नं० १२० ओचार (दे०) अ० ३७५ ओच्छण्ण (अवच्छन्न) नि० १२१६ ओट्ट (ओष्ठ) ५०२३ ओदृच्छिण्ण (ओष्ठछिन्न) नि० १४१७,१८१३६ ओट्ठच्छिन्न (ओष्ठछिन्न) दसा० ६।३ ओडहित्तु (अवदहित) दसा० ६।३ ओत्थय (अवस्तृत) दसा० १०।११.५० ४२ ओधारित्ता (अवधार्य) दसा० ११३ ओनंदिज्जमाण (अवनन्द्यमान) प० ७५ ओनियत्त (अपनिवृत्त) ५० ३१ ओबोलित्तु (अवबुडयित) दसा० ६।३ ओभास (अव-+-भाष)-ओभासइ उ० ओभासंत (अवभाषमान) नि० ३.१ से १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy