________________
अप्प-अबंधव
___ ३१
३३।१. २०७४ अप्पडिविरत (अप्रतिविरत) दसा० ६।३ अप्पडिविरय (अप्रतिविरत) दसा०६।३ अप्पडिहटु (अप्रतिहत्य) क० ३।२५ अप्पडिहय (अप्रतिहत) आ० ६।११; उ० ११११८,
२१; २६।११. प० ७८ अप्पडिहयवरनाणदंसणधर (अप्रतिहतवरज्ञानदर्शन
घर) ५० १० अप्पण (आत्मन) द०६।११।६।३०. उ० ११२५ अप्पणिच्चिय (आत्मीय) दसा० १०१२६ अप्पणिय (आत्मीय) उ० २०४८ अप्पतइय (आत्मतृतीय) क० ११४५,४६. व०
४१४,६,७,६,१०१२,३,५,६ अप्पतर (अल्पतर) दसा० ६१४ अप्पतृमंतुम (अल्पतुमंतुम) उ० २६।४०. दसा०
४१२३ अप्पतेय (अल्पतेजस्) द० चू० १।१२ अप्पत्तिय (दे०) द०५।११२; ८।४७ अप्पत्तियबहुल (अप्रीतिबहुल, अप्रत्ययबहुल) दसा०
अप्पव्व इय (अप्रवजित) उ०१५।१० अप्पसत्थ (अप्रशस्त) उ० १६६३२६।२८;
२६१८३४११६,१८,६१. नं० १६. अ० ५३७ अप्पसद्द (अल्पशब्द) उ० २६।४०. दसा० ४।२३ अप्पसन्न (अप्रसन्न) द० ६।५,७,१० अप्पसुय (अल्पश्रुत) द०६।२ अप्पहिट्ट (अप्रहृष्ट) द० ५।१३ अप्पागम (अल्पागम) व० ३।४,६,८; ६।१,६ अप्पाण (आत्मन्) उ० ११६६।३४ से ३६,६१; २५।८,१२,१५,३३,३७, २६।६१; ३६।२५० अप्पाण (अप्राण) व० ६।४०,४१ अप्पाणरक्खि (आत्मरक्षिन) उ० ४।१० अप्पातंक (अल्पातङ्क) अ० ४१६ अप्पायंक अल्पातंक) उ० ३।१८ अप्पाबहु (अल्पबह) अ० १२१११,१३८।१,१४६;
१६५।१,२०६।१,२१५ /अप्पाह (आ+भाष्) - अप्पाहेइ अ० ५६९।३ अप्पाहार (अल्पाहार) दसा० ५।७४. ५० ८।१७ अप्पिच्छ (अल्पेच्छ) ६० ८।२५. उ० २।३६ अप्पिच्छया (अल्पेच्छता) द० ६।४५ अप्पिणित्ता (अर्पयित्वा) 4.८७,६ अप्पिय (अप्रिय) उ० १११४; ६।१५; ११।१२;
२१११५ अप्पिय (अर्पित) उ० ३।१५ अप्पियकारिणी (अप्रियकारिणी) द०६।४६ अप्पुट्ठाइ (अल्पोत्थायिन्) उ० १।३० /अप्फाल (आ+स्फालय) -अप्फालेइ दसा०
१०१११ अप्फालेत्ता (आस्फाल्य) दसा० १०।१० अप्फुण्ण (दे० आपूर्ण) अ० ५८६ अप्फुन्न (दे० आपूर्ण) अ० ४३६,४३८ अप्फोडिय (आस्फोटित) ५० २३ अप्फोव (दे०) उ० १८०५ अफल (अफल) उ० १४१२४. दसा० ६।३ अफासुय (अप्रासुक) दसा० ८।२३
अप्पपंचम (आत्मपञ्चम) ५० ५।८,१० अप्पबिइय (आत्मद्वितीय) क० ११४५,४६. १०
४२,३,५,६% ५१ । अप्पभासि (अल्पभासिन्) द० ८।२६ अप्पभूय (आत्मभूत) द० ४।६ अप्पमज्जणा (अप्रमाजना) आ० ४१७. प० २७८ अप्पमज्जिय (अप्रमृज्य) उ० १७१७ अप्पमज्जियचारि (अप्रमाजितचारिन्) दसा० १।३ अप्पमत्त (अप्रमत्त) द० ८।१६, ६।१७. उ० ४।६,
८,१०, ६।१२,१६; १६ सू० १ से ३,१६।२६;
२६।४३. दसा० ४१२३. प०७४,७८ अप्पमाय (अप्रमाद) उ० १३।२६ अप्पय (आत्मक) द० ११२,१०।१४. उ० २।६;
६।६; १९६४ अप्प रय (अल्परजस) द० ६।४१७. उ० ११४८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org