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________________ अज्जभद्दबाहु-अट्ट अज्जभद्दबाहु (आर्यभद्रबाहु) प० १८८,१८६ अज्जिय (अजित) उ० ११४२; १८।१६ अज्जम (अर्यमन्) अ० ३४२।१ अज्जिया (आयिका) द०७।१५. प०१४,१०३, अज्जमंगु (आर्य मङगु) नं० गा० २८ ११८,१३३,१३६,१६६,१७८ अज्जमहागिरि (आर्य महागिरि) ५० १८७,१६२, अज्जुणसुवण्णगमई (अर्जुनसुवर्णकमयी) उ० ३६।६० २२० अज्झत्थ (अध्यात्म) उ०६।६; १४।१६ अज्जय (आर्यक) द० १८ अज्झत्थिय (आध्यात्मिक) दसा० १०।२२,२३. अज्जरह (आर्यरथ) ५० २१७,२२०,२२१ प०११,५२,५४,५५,६६ अज्जरोहण (आर्यरोहण) ५० १६६,१६७ अज्झप्प (अध्यात्म) अ० ६३१११ अज्जव (आर्जव) द०६।६७. उ० ६।५७; २६।१. अज्झप्पजोगज्झाण (अध्यात्मयोगध्यान) दसा० १०॥३३. ५० ८१ उ०२६।५५ अज्जवइर (आर्यवज्र) प० १८७,२१४,२१६,२१७, अज्झप्पज्झाणजोग (अध्यात्मध्यानयोग)उ०१६।६३ २१८ अज्झप्प रय (अध्यात्मरत) द. १०।१५ अज्जवइरसेण (आर्यवज्रसेन) प० १८७,२१७,२१८ अज्झयण (अध्ययन) द. ४ सु० १ से ३. अज्जवइरा (आर्यटना) प० २१६ उ० २६।१, ७४. नं० ८१ से ६१. अज्जवभाव (आर्जवभाव) द० ८।३८ अ०६,७,७२, ७४१२, ७५, ५७१,६१०,६१६, अज्जवयण (आर्यवचन) उ० २५१२० ६२०, ६२२ से ६३१. दसा० १०॥३५. ५० अज्जवया (आर्जव) उ० २६१४६ १०६, २८८. व० ५।१५ से १८; १०।२३ अज्जवियत्त (आर्यव्यक्त) ५० १८३ से २५, ३० से ३७ अज्जवेडय (आर्यवेडय) ५० १६८।२ अज्झयणछक्कवग्ग (अध्ययनषटकवर्ग) अ० २८।१ अज्जसंतिसेण (आर्यशांतिसेन) प० २०७ से २०६ अज्जसंभूयविजय (आर्यसंभूतविजय) प० १८७, अज्झवसाण (अध्यवसान) उ० १६७. नं० १८,१६ १८८,१६१ अज्झाइयव्व (अध्येतव्य) द०६।४ सू० ५ अज्जसमिय (आर्यसमित) ५० २१४,२१५ अज्झावय (अध्यापक) उ० १२।१६,१८,१६ अज्जयसमुद्द (आर्यसमुत्र) नं० गा० २७ अज्झावसित्ताणं (अध्युष्य) ५० १८० अज्जसीहगिरि (आर्यसिंह गिरि) ५० १८७,२०७, अज्झीण (अक्षीण) अ० ६१६,६३२,६३४ से ६४३ २१४ अज्झीणझंझ (अक्षीणझञ्झ) दसा० ६VE अज्जसुहत्थि (आर्यसुहस्तिन्) ५० १८७, १६२, अज्झुसिर (अशुषिर) उ० २४।१७ १६६ अज्झोयर (अध्यवतर) द० ५।५५ अज्जसुहम्म (आर्यसुधर्मन्) प० १८३,१८४,१८६ 1 अज्झोववज्ज (अधि+उप+पद)-अज्झोवअज्जसेज्जंभव (आर्यशय्यं भव) प० १८६ वज्जति नि० १२।३० अज्जसेणिय (आर्यश्रेणिक) ५० २०९,२१० अज्झोववज्जमाण (अध्युपपद्यमान) नि० १२।३०%3 अज्जसेणिया (आर्यश्रेणिका) प० २१० १७.१५२ अज्जहत्थि (आर्यहस्तिन्) प० २१११५ अझोववन्न (अध्पुपपन्न) दसा०६।४; १०१२६ अज्जा (आर्या) नं० १२०. अ० २०. व० ७१५ अट्ट (आर्त) आ०४।८. उ० ३०।३५; ३४।३१ अज्जावेतव्व (आज्ञापयितव्य) दसा०१०।२६ अट्ट (अट्ट) नि०८।३, १५॥६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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