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________________ अजाण-अज्जफग्गुमित्त २१३ अजाण (अजानत) द०६९; ८।३१. दसा०६।१७ नं० गा० ३३. ५० ५. नि० ६।१२ अजाणग (अज्ञक) उ० २५।१८ अज्ज (अर्जय)--. अज्जयंते उ० १३।१२ अजाणमाण (अजानत्) उ० १४१२० अज्जइंददिन्न (आर्यइन्द्रदत्त) प० १८७, २०३, अजाणित्ता (अज्ञात्वा) नि० ६७ अजाणिय (अज्ञात्वा) नि० २१४७, ४२१: अज्ज इसिपालित (आर्यऋषिपालित) प० २०६, १९८ अजाणिया (अज्ञिका) नं. १ अज्जकालिय (अद्यकालिक) अ० ३६२ अजिइंदिय (अजितेन्द्रिय) उ० १२१५; ३४।२२ अज्जकुवेर (आर्यकुबेर) प० २०६, २१२ अजिण (अजिन) उ० ५।२१. ५०६, १२१, अज्जोस (आर्यघोष) १० ११६ १३६,१७२ अज्जचंदणा (आर्यचन्दना) १०६४ अजिय (अजित) आ० २।२।४।२ उ०२३।३८. अज्जजंबु (आर्यजम्बू) १० १८६ नं० गा० १८. अ० २०७. दसा० १०।१८. अज्जज विवणी (आर्य:क्षिणी) ५० १३३ प० १५४,१५६ अज्जजयंत (आर्यजयन्त) प० १८७ अजीव (अजीव) द० ४।१२ से १४. उ० २८।१४ अज्ज जयंति (आर्थजयंति) प० २२० १७; ३६।१ से ४,१३,१८,२४८,२४६. अज्जजसभद्र (आर्ययशोभद्र) १० १८६ से १८८ अज्जजीयधर (आर्यजीतधर) न० गा० २६ नं० ८२ से ८५, १२४. अनं० २. अ० ६,३०, अज्जतावस (आर्यतापस) प०१८७,२०६,२११ ५३,७७,१०२,२५१,२५३,२५४,२७४,२७६, अज्जतावमी (आर्यतापसी) प० २११ ३३६,४४१ मे ४४४,५०७,५०८,५१३,५१६. अज्जत्त (अद्यत्व) प० २२८,२२६ दसा० १०॥३०,३१ अज्जथूलभद्द (आर्यस्थूलभद्र) ५० १८७,१६२ अजीवत्त (अजीवत्व) नं० ७१ अजीवनिस्सिय (अजीवनिश्रित) अ० ३०१ अज्जदिण्ण (आर्यदत्त) ५० ११७ अज्जदिन्न (आर्यदत्त) ५० १८७,२०६,२०७ अजीवविभत्ति (अजीवविभक्ति) उ०३६।४७ अजीवोदयनिप्फण्ण (अजीवोदयनिष्पन्न) अ० २७४ अज्जधम्म (आर्यधर्म) प० २२२।६ अज्जनाइल (आर्यनागिल) ५० १८७ अजोगत्त (अयोगत्व) उ०२६।३८ अज्जनाइली (आर्यनागिली) ५० २१८ अजोगि (अयोगिन) उ० २६।३८ अजोगिभवत्थकेवलनाण (अयोगिभवस्थ केवलज्ञान) अज्जनाग (आर्यनाग) प० २२२।३ अज्जनागहत्थि (आर्यनागहस्ति) नं० गा० ३० नं० २७,२६ अज्ज (आर्य) द० ६।५३. उ० १३।२७,३२; अज्जपउम (आर्यपद्म) प० २१७,२१६ १४।४५; २०१६,८. नं० गा० २६. दसा० अज्जपउमा (आर्यपदमा) प० २१६ ३।३, ५७; ६।२; १०।२३, ३५. ५० अज्जपय (आर्यपद) द०१०।२० ११७,२३०,२३७,२७७,२८२. व० श२० से अज्जपूसगिरि (आर्यपुष्य गिरि) १०२२१,२२२ २२; २।२४,२५,२८ से ३०, ४।११ से १४, अज्जपोमिल (आर्यपोमिल) ५० १८७ १८; ५।११ से १६; ७४; ८।१२ से १५. अज्जप्पभव (आर्यप्रभव) ५० १८६ नि० ४।११८ अज्जप्पभिइ (अद्यप्रभति) ५० ६२ अज्ज (अद्य) द० चू० १६. उ० २।३१. अज्जफरगुमित्त (आर्यफल्गुमित्र) प० २२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003556
Book TitleNavsuttani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2000
Total Pages1316
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size29 MB
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