SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 966
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खेत्तओ-गंध ८८६ ६।१६।१,१०१४,५,१७३;१६।२२।२५ प६।११८ खेत्तओ (क्षेत्रतस्) प १११४८,५०; १२।७,८,१०, गइपरिणाम (गतिपरिणाम) प १३।२३ १२,१६,२०,२७,३२; १८।३,२६,२७,३७,३८, गइप्पवाय (गतिप्रपात) प १६।१७,५५ ४१,४३,४५,५६,६४,७७,८३,१०८,११७; गइरइय (गतिरतिक) ज ७।५५,५८ २८।५,५१,३५।४ ज २१६६ गंगदत्त (गङ्गदत्त) उ ३।१३,१६० खेत्ततो (क्षेत्रतस्) प १८१६०,६२,६५ गंगप्पवायकुंड (गंगाप्रपातकुण्ड) ज ४।२५,२६,३१, खेत्ताणुवाय (क्षेत्रानुपात) प ३।१२५ से १७३, १७५,१७७ गंगा (गंगा) ज १११८,२०,४८, २।१३१,१३३, खेत्तारिय (क्षेत्रार्य) प ६६२,६३ १३४; ३।१,१४,१५,१८,१४१,१४३ से १५१, खेत्तोवधातगति (क्षेत्रोपपातगति) प १६।२५ १६१,१६४,१७०।४।१३,२३ से २६,३३ से खेत्तोववायगति (क्षेत्रोपपातगति) प १६।२४ ३६,१६७,१७७,२७४; ५१५५, ६।१६ से ३०॥३२ सू २०१७ उ ११६७,३१५१,५६,६८ खेम (क्षेम) प २।३०,३१,४१ गंगाकुंड (गंगाकुण्ड) ज ११५१४।१७५१७६ खेमकर (क्षेमंकर) ज २१५६,६० सू २०१८,२०१८।७ गंगाकूड (गंगाकूट) ज ४।४४ खमंधर (क्षेमंधर) ज २१५६,६१ गंगाकूल (गंगाकूल) उ ३।५० खेमपुरा (क्षेमपुरा) ज ४।१८१,२००।१ गंगादीव (गंगाद्वीप) ज ४।३१,३२ खेमा (क्षमा) ज ४।१७७,२००।१ गंगादेवी (गंगादेवी) ज ३।१४०,१४१,१४३,१४५, खेल (श्वेल) प १८४ खेल्लणग (खेलनक) उ ३३११४ गंगावत्त (गंगावतं ) ज २०१५ खेल्लणय (खेलनक) उ ३।१३० गंगावत्तणकूड (गङ्गावर्तनकूट) ज ४।२३ खेवणी (क्षेपणी) ज ३।३१ गंज (गजा) प ११३७।५ खोत (क्षोद) प १५।५५।१ गंठि (प्रन्थि) प ११४८।३८ ईख खोतोदय (क्षोदोदक) प १२३ खोदवर (क्षोदवर) सू १६।३१ गंड (गण्ड) प ११६५,२१५० ज ४।१३; ५।६७; खोदोद (क्षोदोद) सू १६।३१ ७।१७८ खोद्दाहार (क्षौद्राहार) ज २११३५ से १३७ गंडतल (गण्डतल) प २।३०,४६ खोम (क्षौम) ज ४।१३,५६७ सू २०१७ गंडयल (गण्डतल) प२।३१,४१ खोमिय (क्षौमिक) सू २०१७ गंडलेहा (गण्डरेखा) ज २।१५ गंडीपद (गण्डीपद) प ११६२ गंडीपय (गण्डीपद) प ११६५ गइ (गति) प २।४८ ज २।१५,७१,१३३,३।३, गंडूयलग (गण्डपदक) प ११४६ १३८,१७८,५।२१,७।२१,२५,५५,५८,८१, गंता (गत्वा) प ११।७२,३६।६२ ज ३।२५,३८, १७५,१७८ च ४११ सू ११६,१।८।१, १६।२२२२ गंतूण (गत्वा) प २१६४१२,३ गइकल्लाण (गतिकल्याण) ज २८१ गंध (गन्ध) प ११४ से ६२।३०,३१,४१,४६; गइनामणिहत्ताउय (गतिनामनिधत्तायुष्क) ३।१८२,५५१०,१२,१४,१६,१८,२०,२४,२८, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy