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________________ ८७८ कामभोय-काल सू २०१७ उ १।११ कामभोय (कामभोग) उ ५।२५ कामरूव (कामरूप) प २१४१ काय (काक) प ११४७ काय (काय) प ११८६,३।१।१,१५१५३,५४,५६, ५७:१६५१ से ८,१० से १५,१८,१६,२१,५४: १८।१।१; २३।१५,१६,३०,३१,३४।११२ जश६७,६।१६७ सू१०१७४;२०१८२०1८।३ कायअपरित्त (कायअपरीत) प१८।१०६,११० कायगुत्त (कायगुप्त) ज २६८ उ ३६६ कायजोग (काययोग) प ३६।८६ से ८८,६१,६२ कायजोगपरिणाम (काययोगपरिणाम) प १३७ कायजोगि (काययोगिन् ) प ३९६,१३।१४,१६; १८१५७; २८।१३८ कायठिइ (कायस्थिति) प १।११५,१८११२ कायपरित्त (कायपरीत) प १८।१०६,१०७ कायपरियार (कायपरिचार) प ३४।१६ कायपरियारग (कायपरिचारक) प ३४।१८,१९, २१,२५ कायपरियारणा (कायपरिचारणा) प ३४।१७ से कारियल्लइ (कारवल्ली) प ११४०।२ करेला कारिया (दे०) प ११३७५ कारिल्लय (दे०) सू १०।१२० कारेमाण (कारयत्) प २।३०,३१,४१,४६,५७ ज ११४५,३।१८५,२०५,२०६,२११;५।१६ उ ५।१० कारोडिय (कारोटिक) ज ३।१८५ काल (काल) प ११४ से ६,७४,८४,२।२० से २७, ३१ से ३३,४०1८;२।४२,४३,४५।१२।४६,४७, ६४,४१ से ४६,५६ से ५८,६५,७२,७६,८८, ६५,६८,१०१,१०४,११३,१३१,१४०,१४६, १५८,१६५,१६८,१७१,१७४,१८३,२०७, २१०,२१३,२६४,२६७,२६६,५५,७,३७,३८, ७४,१०७,१२६,१५०,१५२,१५४,१६०,१६३, १६७,२००,२०३,२४२,२४४।६।१ से २३, २७,४२ से ४५;७।१ से ४,६ से ३०,१११५३, ५४;१२।२४,३२,३३,१३।२६,१६।५०;१८॥३, १४,१५,२६,२७,३७,३८,४१,४३,४५,५७, ५६,६२,६४,७७,८३,६०,६५,१०५,१०७, १०८,११०,११६,११७,१२०,२३।४७,६० से ६२,१०५,१६३ से १६६,१६८ से २०१; २८।४,६,७,२०,२६,३२,३८,५०,५२,५३, ६६,३६।६०,६१,६७,७१,७२,७५,७६,६३, १४ ज १२,४,५,२।१ से ३,६,४४,४६,५१, ५४,६६,७१,८८,८६,६१,१२१,१२६,१३०, १३१,१३३ से १४१,१४६,१५४,१६०,१६३; ३।३,२४,३१,३२,६२,६५,१०३,११६,१३८।१, १५६,१६७।१,७,१७८,२२४;५।१,६,८ से १३,१८,४८,५० से ५२,७०५७,६०,१०१, १०२,१८७,२१० चं ६,६,१० सू १।१,४,५; २।२८।११७११,१८१२५ से ३४;१६।२५; २०१७ उ १।१ से ३,७,६,१३ से १६,२१,२२, २५ से २८,५१,६५ से ६७,७६,६३,६४,११६ से १२२,१२५,१४०,१४१,१४४,१४७,२।४,६, ७,६,११,१६,२२,३।४ से ६,६,१२,१४,१६, २१,२४,२५,२७,४०,४८,५०,५५ से ५७,६४, कायमाई (काकमाची) प ११३७२ मकोय काययोगि (काययोगिन्) प १३।१७ कायव्व (कर्तव्य) प ५११३२,२२६;६।४६,११०; १३।१७;१५।३४,३८,७५,१७।६१,२८।१।२ ज ४।१७२ कायसत्रिय (कायसमित) ज २१६८ कारंडव (कारण्डक) ज २०१२ कारण (कारण) प ८।४,६,८,१०,२८।२०,२६, ३२,६६ ज ७।२१४ उ ११३६,११६,१२७; ३।११,२६ कारभरिय (कारभारिक) ज ३।१८५ कारव (कारय) कारवेंति ज ३।१३ कारवेह ज ३७ कारवेत्ता (कारयित्वा) ज ३१७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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