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________________ कसाय-कामभोग ८७७ कसाय (कषाय) प ११११५,,११४ से ६३।१११; काउलेसट्ठाण (कापोतलेश्यास्थान) प १६।१४६ ५१५,७,२०५; १४।१,२,१८।१।१; २३।६८, काउलेसा (कापोतलेश्या) प १७११२१२८।१२३ १४०,१८३,१८४; २८१३२,६६,१०६।१; काउलेस्स )कापोतलेश्य) प ३९६१३।१४; ३६।१।१ ज २११४५ १६।४६;१७।३२,५६,५७,५६ से ६१,६३,६४, कसायपरिणाम (कषायपरिणाम) प १३।२,५,१४ ६६ से ६४,७१ से ७४,७६,८१ से ८५,८७, १६ ६४,१००,१०२,१०३,१११,१६७,१८७१ कसायवेयणिज्ज (कषायवेदनीय) ब २३।१७,३४, काउलेस्सट्ठाण (कापोतलेश्यास्थान) प १७।१४६ काउलेस्सा (कापोतलेश्या) प १६।४६,१७।३६, कसायसमुग्घात (कषायसमुद्घात) प ३६।६५ ।। ३७,११७,११८,१२१,१२२,१२५,१२६,१३२, कसायसमुग्घाय (कषायसमुद्घात) प ३६।१४,५, १३६,१४४,१४५,१५१ से १५३ ६,७,२१,२२ २८,३५ से ४३,४६,५३ से ५८ काउलेस्सापरिणाम (कापोतलेश्यापरिणाम) कसाहिया (दे०) प १७१ प१३१६ कसिण (कृष्ण) प २।३१ ज २०१५ काऊ (कापोती) प २०२० से २५ कसिणपुग्गल (कृष्णपुद्गल) सू २०१२ काऊण (कृत्वा) ज ३।१२ कसेरुया (कशेरुक) प ११४६ एक तरह का घास काओदर (काकोदर) प १७० कह (कथं) प २३।१।१ काओली (काकोली) प ११४८।५ एक वनौषधि जो कह (कथय) कहेइ उ २।१२ अष्टवर्ग के अन्तर्गत है, जीवंती कहं (कथं) ज ७.५६ चं २।४ सू ११६ उ ११७२, काकंदी (काकन्दी) उ ३।१७१ ३७८ काकंध (काकन्ध) सू २०१८,२०८।३ कहग (कथक) ज २१३२ काग (काक) प १७६ कहा (कथा) उ १।१७,५७,८२,६६,१०७,१२७; कागणि (काकिणी) प ११४०१५ ज ३१६५,१५६ ३।१३,२६,१४७,१६०; ४।११।५।१५,३८ कागणिरयण (काकिणीरत्न) ज ३।६४,१३५,१५८, कहि (क्व) प १७४ ज १७ १७८,२२० कहिं (क्व) प ६९६ ज २।१८ चं २।२ सू १।६।२ कगणिरयणत्त (काकिणीरत्नत्व) प २०१६० उ ११२५ काणण (कानन) ज २६५ कहिचि (कुत्रचित्) उ ३।१०१ कातव्य (कर्तव्य) ५।१६१,१७६;६।५६,६६, कहिय (कथित) ज ११४ चं हसू ११४ उ ११२ ७४ से ७८,८०,१११ काइय (कायिक) ज २७१ कामंजुग (कामयुग) प ११७६ काइया (कायिकी) प २२।१२,२२१४६ से ५०,५३ कामकाम (कामकाम) प २।४१ से ५६ कामकामि (कामकामिन्) ज २०१६ काउ (कापोत) प १३।६।१७।१२२ कामगम (कामगम) ज ५१४६।३;७१७८ काउं (कृत्वा) उ ३।१११,४।१६ कामगामि (कामकामिन्) ज २।२२ काउंबरी (काकोदुम्बरिका) प ११३६।२ कामगुणित (कामगुणित) प २।६४।१६ काउलेस (कापोतलेश्य) प १७।६२,६४,६५,१०३, कामत्थिय (कामाथिक) ज ३१८५ ११०,१११,१६८ कामभोग (कामभोग) ज ३१८२,१८७,२१८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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