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________________ काल-किपुरिस ७९ ६५,६८,६६,७१,७२,७४,७५,७६,८३,८६, कालिंग (कालिङ्ग) प ११४८।४८ ज ३।११६ १०,६५,९८,६६,१०६,१२०,१२४,१३१,१३२, कालिंगी (कालिङ्गी) प ११४०११ १५०,१५५ से १५७,१५६,१६१.१६४,१६८, काली (काली) उ१११२,१३,१५,१७,१६ से २४; १६६,४।४ से ६,१०,१६,२४,५।४,१४,२१, २१५,६ २४,२५,२६२८,३६,४०,४१ कालोदधि (कालोदधि) सू १६।११।१ काल (काल) सू२०१७,२०1८।५ कालोदहि (कालोदधि) सू१६।११।२,४ काल (दे० कृष्ण) सू १६।२२।१६,१८,२० कालोय (कालोद) प १५१५५,५५५१ सू ८।१ कालओ (कालतस्) प १११४८,५१,१२।७.८,१०, कालोयसमुह (कालोदसमूद्र) प १६।३० १२.१६.२०,२७,३२:१८११ से १०,१२ से १७, कादिसायण (कापिशायन) प १७।१३४ १६ से ३६,४१ से ४७४६ से ५१, ५४ से कास (काश, कास) प ११३७।४ सहिजन का पेड, ५६,६१ से ६०,६३ से १११,११३,११४, एक घास ११६,११७,११६,१२०१२२,१२३,१२५ से कास (कास) २४३ १२७;३५।४ ज २१६६ कास (काश) सू२०१८२०।८।४ कालग (कालक) प ३।१८२,५३३७,५६,८८,८६, कासपगात (काशनकाश) ३।३५ १०७,१४६,१५०,१६०,१६३,१६७,२०० कासव (काश्यप) ७।१३२।३ कालगय (कालगत) ज २८८,८६;३।२२५ कासवगोत्त (काश्यपगोत्र) उ १३ उ ११२२,६२; २।१२,५।३६,४० कासित्ता (कासित्वा) ज २१४६ कालण्णाण (कालज्ञान) ज ३।१६७७ कासी (काशी) प १६३।१ उ १११२७ से १३०, कालनाण (कालज्ञान) ज ३।३२ कालतो (कालतस्) प १२।२०१८।३,१८,४१, काह (कथय) काहिइ उ २।१३,५१४३ ४३,६०,६५,२८।५,५१ काहार (दे०) ज ७।१३३।१ कालमास (कालमास) ज २१४६,१३५ से १३७ काहारसंठिय ('काहार'सस्थित) सू१०।२७ उ १२५ से २७,१४०।३।१४,८३,१२०,१५०, कि (किम) प ११ ज १७ च २।१ सू ११६ १६१,४।२४।५।२८,४०,४१ कालमुह (कालमुख) ज ३१८१ किंकर (किङ्कर) प २।३०,३१,४१ ज ३।२६,३६, कालय (कालक) प ३।१८२,५।३६ से ३८,५.८ से ४७,५६,६४,७२,१३३,१३८,१४५,१७८ ६०,७३ से ७५,८६,६०,१०६ से १०८,१५०, किचि (किञ्चित् ) प २१६४।१८ ज १७ १५१,१८६ से १६४,१६६ से २०४,२४१ से सू१११४,२०,२७ २४३;१७।१२६ सू २०१२ किंचिविसेसूण (किञ्चितविशेषोन) ज २४८ काललोहिय (काललोहित) ३ १७११२६ ४।१,४०,५५,६७,१६७,१६६ सू ११२७; कालहेसि (कालहेपिन् ) १।१६।४,५।१,१११६७, ८१ काला (काला) ज २११३३ किंथुग्घ (किंस्तुघ्न) ज ७।१२३ से १२५ कालागरु (कालागुरु) प २१३०,३१,४१ ज २१६५; किपज्जवसिय (विपर्यवसित) ष १११३० ३।१२,५७,५८ किपहव (किंप्रभव) प ११।३० कालागुरु (कालागुरु) ज ३१७,८८ सू २०१७ किंपुरिस (frपुरुष) प १।१३२; २।४१,४५, कालायस (कालायस) ज ३।१०६,१७८ ४५।२ ज ३।११५,१२४,१२५. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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