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________________ ८५२ उउय-उक्कोसपय उउय (ऋतुक) प २१४१ उंबर (उदुम्बर) प १।३६१ उ ३।७४,७६ उंबेभरिया (दे०) प १३५।२ उक्कड (उत्कट) प ११५० ज ३।३१ उक्कर (उत्कर) ज ३।१२, १३,२८,४१,४६,५८, ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ उक्करिया (उत्करिका) प ११७८,१३।२५ उक्करियाभेद (उत्करिका भेद) प १११७८,७६ उक्करियाभेय (उत्करिकाभेद) प १११७३ उक्कलिया (उत्कलिका) प ११५० उक्कलियावाय (उत्कलिकावात) प ११२६ उक्का (उल्का) प ११२६ उक्कामुह (उल्कामुख) प ११८६ उक्कालिय (उत्कालिक) ज ५७ उक्किट्ठ (उत्कृष्ट) ज २१६०३।१२,२६,२८,३६, ४१,४७,४६,५६,५८,६४,६६,७२,७४,११३, १३८,१४५,१४७,१६८,२१२,२१३,५१५,४४, ४७,६७,७।५५ उ १११३८,३।१२७ उक्किट्ठि (उत्कृष्टि) ज ३१२२,३६,७८,६३,६६, १०६,१३३,१६३,१८० उक्किण्ण (उत्कीर्ण) प २।३०,३१,४१ ज ३१८२ उक्कित्तिता (उत्कीर्तिता) सू २०६१ उक्किरिज्जमाण (उत्कीर्यमाण) ज ४।१०७ उक्कुट्ठ (उत्कृष्ट) सू १६।२३ उक्कुडयट्ठिय (उत्कुटु कस्थित') ज २११३३ उक्कुरुडिया (दे०) उ १।५४ से ५७,५६,६३,७६ से ८२,८४ उक्कुला (उत्कला) सू १०।६ उक्कूवमाण (उत्कूजत् ) उ ३।१३० उक्कोस (उत्कर्ष) प ११७४, २०६४।६४१ से ६७,६६ से २६६,२६८,५३४२,४६,७६,६४, ६८,११२,११६,६।१ से १८,२० से ४५,६०, ६१.६४,६६ से ६८,१२०,१२१,१२३,७।२,३,, ६ से २६१११७०,७१,१२।१५।४० से ४२; १. अस्थिक इत्यपि भवति विकल्पेन । १७।१४५,१४६;१८।२ से ४,६,८ से १०,१२, १४ से १६,१८ से २४,२६ से २८,३० से ३६, ४१ से ५४,५६,५७,५६ से ६७,६६ से ७४, ७६ से ७६,८१,८३ से ५,८७,८६ से ६१, ६३,६५,६६,६८,१०३ से १०५, १०७,१०८, ११०,११३,११४,११६,११७,११६,१२०; २०१६ से १३,६१,६३,२११३८,४० से ४४, ४६ से ४८,६३ से ७१,७४,८४,८६,८७,६० से ६३;२३।६० से ७६,८१,८३ से ६२,६५ से १६, १०१ से १०४,१११ से ११४,११६ से ११८,१२७,१२६ से १३१,१३३ से १३५, १३८,१४०,१४२,१४३,१४७,१५१ से १५५, १५७,१५८,१६० से १६२,१६४ से १६६, १७१ से १७३,१७६,१७७,१८२,१८३,१८६, १८७,१६०;२८।२५,२७,४७,५०,७३ से ६६; ३३।२ से १३,१५ से १७,३६८ से १०,१७, १८,२०,३०,३४,४४,६१,६६,६८,७०,७२,७४, ७६ ज २।६,४४,४५,५८.१२३,१२८,१३३, १४८,१५१,१५७;४।१०१;७:५७,६०,१८२, १८७ से १६६,२०६ सू १८।२०,२५,३६; १६।२५ उ २।२०,२२,३।१३० उक्कोसकालठिईय (उत्कर्षकालस्थितिक) प२३१२०० उक्कोसकालठितीय (उत्कर्षकालस्थितिक) प२३।१६४ से १६६,१६८ से २०१ उक्कोसग (उत्कर्षक) प १७।१४५,१४६ ; २३।१८४ उक्कोसगुण (उत्कर्ष गुण) प ५।३८,६०,७५,६०, १०८,१६१,१६४,१६८,२०१,२०४,२०८, २१२,२१५,२१६,२२२.२२५,२४३३ उकोसटिईय (उत्कर्षस्थितिक) प५।१८५ उकोसद्वितीय (उत्कर्षस्थितिक) प ५१३५,५७, ७२,८७,१०५,१७५,१७८,१८२,१८८,२४० उक्कोसपएसिय (उत्कर्षप्रदेशिक) प ५१२२६,२३० उकोसपद (उत्कर्षपद) प १२१३२ उक्कोसपय (उत्कर्षपद) ज ७।१६८,१६६,२०२, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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