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________________ इत्थीलिंगसिंद्ध उउ इत्थीलिंग सिद्ध (स्त्रीलिंगसिद्ध ) प १।१२ इत्थवेदग (स्त्रीवेदक ) प ३६७१३।१८ इभ ( इभ्य ) प १६ ४१ ज २।२५ ३ १०,८६, १७८,१८६,१८८, २०६,२१०, २१६,२१६, २२११।२३।११,१०१,५।१० इन्भजाति ( इभ्यजाति) प १।६४।१ इम (इदम्) प १।४८ सू ११५१।१५ २६ इय (इति) प २६४ १८ ज १७ सू १६ इयर (इतर) प २१।३५ इयाणि ( इदानीम् ) सू १६।२४ उ३।५५ इरियावहियबंधग (ईर्यापथिकबन्धक) प २३।६३ इरियावहियबंध (ईर्यापथिकबन्धक ) प २३।१७६ इरियासमिय (ईर्यासमित) उ २।६; ३ १३,६६, १०२,११३,११५,१३२, १४६४।२२,५१३८, ४३ इलादेवी ( इलादेवी) ज ५।१०।१४।२।१ इलादेवीकूड ( इलादेवीकूट ) ४१४४, २७५ इव (इव ) प २।४८ उ३११२८ इसि (ऋषि) प २४७।२ ज ३।१०६ उ १२० इसिपाल ( ऋषिपाल ) प २०४७।२ इसिवाय ( ऋषिवादिक) प २०४१ २०४७ १ इसीपारा ( ईषत्प्राग्भारा ) प २०१२१६० इस रियविसिया (ऐश्वर्यविशिष्टता) प २३।२१, ई ईतिबहुल ( ईतिबहुल) ज १।१८ ईताल ( एकचत्वारिंशत् ) सू १६८ । १ तालीस ( एकचत्वारिंशत् ) सू १३ १४ इतालीस ( एकचत्वारिंशत्क ) सू १३।१७ ईरियासमिय ( ईर्यासमित) ज २।१६८ Jain Education International ईसर (ईश्वर) प २४७ २; १६।४१ ज २१२५; ३।१२६।३५।१६ उ ११६२५।१० ईसर ( ऐश्वर्य ) ज १।४५; ३०१०,१८५,२०६,२२१ ईसाण ( ईशान ) प १।१३५, २०४९, ५१,५३,६३; ३।३०,१८३४।२२५ से २३६६।२८,५६,६५, ८५,१११,१५।१३८, २०१६ ०; २८।७६, ३४।१६, १८ ज २९१ से ३,११३, ११६,४।१७२, २००,२२१, २२४।१, २३५, २४०, २४२, २४३; ५।४८,५६,६०,७।१२२।१ सू १०२८४।१ उ २।२०, २२,५४४१ ईसाकप्पवासि (ईशान कल्पवासिन् ) प २१५१ ईसाग ( ईशानज) प २।५१६ / ६५, ७ ६; १५।८७; २१।७०, ६०, ३३।१६ ज ५।४६ ईसाणवडेंसग ( ईशानावतंसक ) प २२५५, ५७ ईसाणवडेंस ( ईशानावतंसक ) प २०५१ ईसि ( ईषत् ) प २३१,६४; १७ १३४; २३ । १६५ ज ३।१०६,१७८४।५४,५५,२१,३८,५८ ७१७८ ५८ इस रियविहीणया ( ऐश्वर्यविहीनता ) प २३ । २२, ५८ इह (इह ) ज २६६ १६ इह (इह ) प १।७५ उ १।१७ च्चारणाध्वन् ) प ३६।९२ sei ( इहगत ) ज ५।२१७ २०, २२ से २५,७६, ईहा ( ईहा ) प १५।५८ । २१५।६७ ज ३।२२३ हाइ ( ईहामति) उ १।३१ ८२ हामिंग ( ईहामृग ) ज २।३७,१०१४।२७ ८५१ ईसिउच्छंग ( ईषदुत्सङ्ग) ज ३।१७८ ईसिणिया (ईशानिका) ज ३।११।१ ईसितुंग ( ईषत्तुङ्ग ) ज ३।१७८ ईसिवंत ( ईषद्दान्त ) ज ३।१७८ ईसिमत्त ( ईषन्मत्त ) ज ३ । १७८ ईसीप भारा ( ईषत्प्राग्भ ( रा ) प २२६४; १०१ १,२; २१६०३०२६, २८ ईसीहस्सपंचक्खरुच्चारणद्धा ( ईषद् ह्रस्वपञ्चाक्षरो उ For Private & Personal Use Only उ (तु) प ११४८६ ज ११४७ सू १७ उ १७ उईर ( उदीरण ) प १४ । १८ ।१ उउ (ऋतु) ज २६६; ३ । ११७।१७।१११, ११२१५, १२६, १२७५।२५ www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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