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________________ १०१८ माया-माह माया (माया) प११।३४।११४।४,६,८,१० से मालवंतद्दह (माल्यवत्द्रह) ज ४।२६२ १४;२२।१०।२३।६,३५,१८४ ज २०१६,६६, मालवंतपरियाय (माल्यवत्पर्याय) प १६।३० १३३ उ ३।३४ ज ४।२७२ माया (मात) ज २१२७,६६,५१५,७ से १०,१२, माला (माला) प २।३०,३१,४१,४६ ज ३१६,२०, १४,१७,४६,६७ उ १।१४८ ३३,४७,५४,६३,७१,८४,११३,१३७,१४३, माया (मात्रा) ज ४।३६,४३,७२,७८,६५,१०३, १६७,१८२,१८६,२०४,२२२ १४३,१७८,२००,२१३ मालागार (मालाकार) ज ५७ मायाकसाइ (मायाकषायिन्) ५ २८।१३३ मालि (मलिन् ) प ११७१ सांप विशेष मायाकसाय (मायाकषाय) १४।१ मालिया (मालिका) ज ७।१७८ मायाकसायपरिणाम (मायाकषायपरिणाम) १३५ मालुय (मालुक) प १३५१ मायानिस्सिया (मायानिश्रिता) १११३४ मालुया (मालुका) प ११४०।५,११५० मास (मास) प ४।१०१,१०३,६१५,१३ से १६, मायामोस (मायामृषा) प २२।२०,८० ३५,३६,४४; १८।२३, २३।६६,७०,१६५, मायामोसविरय (मायामृषाविरत) प २२१८५,६६ १८४ ज २१४,६४,६६,८३,८८,३।११६% मायावत्तिया (मायाप्रत्यया) प १७।११,२२,२३, ७।११४।२,११५,१२६,१२७,१३६।१,१५६ से २५; २२६०,६३,६८,७१,६३,६६,१०१ १६७ च ५।३ सू ११६६।१८।११०।६३ से मायासंजलण (मायासंज्वलन) प २३१७१ ७४,१२४; १२।३ से ६,१० से १२,१५; मायासण्णा (मायासंज्ञा) प ८।१,२ १३॥३,१४,१७,१५।१४ से २८, २०१३ मायासमुग्घात (मायासमुद्घात) प ३६।४६ उ ११३६,४०,४३,५३,७४,७८,३।४० मायासमुग्घाय (मायासमुद्घात) प ३६।४२,४८ मास (माष) प ११४५।१ ज २१३७, ३।११६ से ५१ उ ३।३६,४० मारणंतियसमुग्घाय (मारण:न्तिकसमुद्घात) मासखमण (मासक्षपण) उ २।१०।३।१४,८३; प १५॥४३; २११८४ से ६३,३६।१,४,७,२७, ४।२४; १२८,३६,४३ २६,३५ से ४१.४६,५३ से ५८,६६ मासचुण्ण (माषचूर्ण) प १११७६ मार (मार) ज ५१३२ मासद्ध (मासार्ध) उ २।१०।३।१४८३,४।२४; -मार (मारय) मारिस्सइ उ १८६ ५।२८,३६,४३ मारिबहुल (मारिबहुल) ज ११८ मासपण्णी (माषपर्णी) प ११४८।५ मारुय (मारुत) ज ५।५ मासपुरी (मासपुरी) प ११६३१५ मारेउकाम (मारयितुकाम) उ १७३ मासल (मांसल) प १७।१३४ माल (मालक) प ११३७।५ नीम माससिंगा (मास 'सिंगा') प १११७८ उडद की फली माल (माला) प २।५० ज ५।१८ मासवल्ली (माषवल्ली) प १४०।४ मालव (मालव) प ११८६ मासिय (मासिक) ज ३।२२५ मालवंत (माल्यवत्) ज ४।१०८,१४२॥३,१४३, मासिया (मासिकी) उ२१२,३१५०,१६१,१६९ १६२११,१६३ से १६७,१६६,१७२ से १७४, ५।२८,४३ २०३,२०७,२०६,२१०,२१५,२६२ माह (माघ) ज २।८८,७१०४ सू १०।१२४ मालवंतकूड (माल्यवत्कूट) ज ४।१६३ उ३४० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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