SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1096
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ माहण-मिसिमिसेंत १०१६ माहण (माहन) उ ३।२८,२६,४५,४७,४८,५०, ६६,७२ से ७४,६४,६५,९७ से ६६,१०१ ५५,५८,६०,७५,७६,७६ मिच्छादसणसल्ल (मिथ्यादर्शन शल्य) प २२।२०,२५ माहणकुल (माहनकुल) उ ३।१२५ मिच्छादसणसल्लविरय (मिथ्यादर्शनशल्यविरत) माहणरिसी (मानषि) उ ३।५१ से ५७,६२,८२ प २२१८६,८७,८६,६०,६७ से १६ माहणी (माहनी) उ ३।१२६ से १३१,१३४ से मिच्छादसणसल्लवेरमण (मिथ्यादर्शनशल्यविरमण) १४४,१४७,१४८ प२१८१,८२ माहिंद (माहेन्द्र ) प १४१३५२१४६,५३,५४,६३; मिच्छादंसणि (मिथ्यादर्शनिन्) प २२१६५ ३।३२,१८३;४।२४० से २४२,६।३०,५६,६५, मिच्छादिछि (मिथ्याष्टिः ) प २३।१६५ १५८८,२११७०२८१७८,३४।१६,१७ मिज्जमाण (मीयमान) सू १२।२ ज ५१४६७११२२।१ सू १०८४।१ उ २।२२ मित (मित) उ १४१,४४ माहिंदग (माहेन्द्रक) प २१५३,७।११।३३।१६ मित्त (मित्र) ज २।२६; ३।१८७,७।१२२११, माहिंदवडेंसय (माहेन्द्रावतंसक) प २।५३ १३०,१८६।४ सू १०१८४१ उ ३।३८,५०, माही (माघी) जे ७।१३७,१४६,१५३,१५४ ११०,१११,४।१६,१८ सू१०७,१४,२३,२५,२६ मित्तदेवया (मित्रदेवता) सू १०८३ माहेसरी (माहेश्वरी) प १;६८ मिय (मृग) प११६४१११४ ज २।३५ उ ५१५ मिउ (मृदु) ज २।१६;३।११७; ७।१७८ मिय (मित) ज २०१५ मिजा (मज्जा) प ११४८।४५,४६ मियंक (मृगाङ्क) सु २०६४ मिग (मृग) प २।४६ सू १०।१२० मियगंध (मृगगन्ध) ज २१५०,१६४,४।१०६,२०५ मिगसिरा (मृगशिरा) ज ७।१३६,१६०,१६१ मियलुद्ध (मृगलुब्ध) उ ३१५० सू१०।२ से ५,१२,२३,३८ मियवालुंकी (मृगवालुंकी) प ११४८।४; १७।१३० मिगसीसावलि (मृगशीर्षावलि) ज ७।१३३।१ पियवालुंकीफल (गवालुंकीफल) प १७।१३० मिच्छत्त (मिथ्यात्व) प २३।३ उ ३।४७ मिरिय (मरिच) प १७।१३१ मिच्छत्तवेदणिज्ज (मिथ्यात्ववेदनीय) प २३।१६८, मिरियचुण्ण (मरिचचूर्ण) प ११।७६ ; १७।१३१ १८२ मियसिर (मृगशीर्ष) ज ७।१२८ मिच्छत्तवेयणिज्ज (भिथ्यात्ववेदनीय) प २३।१७, मिरीइ (मरीचि) ज ३१११७ ३३,६६,१३८,१५७,१६१,१६६ मिरीचि (मरीचि) सू २।१ मिच्छत्ताभिगमि (मिथ्यात्वाभिगमिन) प३४११४ ।। मिरीया (मरीचि) सू २११ मिच्छद्दिछि (मिथ्यादृष्टि) प १७४,८४; मिलक्ख (म्लेच्छ) प ११८८,८६ ज ३७७,१०६ ३।१००,१८३ : ६।६७,१३,१४,१६,१७; मिलाइत्ता (भिलित्वा) ज ५१६४ १७।११,२३,२५; १८७७; १६१ रो ५; मिलाय (मिलय) मिलायइ उ १।१२५ मिलायंति २१।७२,२३।१६६,२००,२८।१२६ ज ३।१११ मिच्छादसणपरिणाम (मिथ्यादर्शनपरिणाम) मिलायित्ता (मिलित्वा) ज ३।१११ १३।११ मिलिय (मिलित) ११६।१५; २२१८४ मिच्छादसणवत्तिया (मिथ्यादर्शनप्रत्यया) मिसिमिसिंत (दे०) ज ३।१०६५।२१ प १७।११,२२,२३,२५; २२१६०,६५,६६, मिसिमिसेंत (दे०) ज ३१६,२४,२२२,५।२८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy