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________________ णेर इयअसण्णिआउय-णोरहमणोबादर १२४,१३४,१३५,१३८,१४०,१४१,१६।३,६, सप्प (नैसर्प) ज ३।१६७४२,१७८ ११,१४,२०,२५,२६,३१,३२,१७११ से ६, णो (नो) प ११४६८ ज २१६ सु८१ ८ से १४,१७,१८,२३,२५,२८,२६,३२,३७, णोअपरित्त (नोअपरीत) प १८।११२ ४०,४२,४६,५७,८५,६० से ६२,१००,१०६ णोअसंजय (नोअसंयत) प १८६२ से १११,१८१२,५,८,९,११,१६।१,२०११११; णोअसण्णि (नोअसंज्ञिन् ) प ३११५,६ २०११ से ३,६,७,९,१०,१४,१५,१७ से २०, णोइंदिय (नोइन्द्रिय) प १५७० २३ से २५,२७,३२,३४,३५,३८ से ४२,४६, णोकसायवेयणिज्ज (नोकषायवेदनी) प २३।१७, ५२;२११५१,५२,५८,५६,६५,६६,७७,८१, ८७, २२१११,१३,१५,१७,१६ से २१,२३, णोपज्जत्तयणोअपज्जत्तय २४,२६,२७,३०,३१,३३,३५,३७ से ४५,४७, (नोपर्याप्तकनोअपर्याप्तक) प १८।११५ सोमवार ५३,५७,६६,७३,७५,७६,७६,८२,८७,८८, णोपरित्त (नोपरीत) प १८।११२ १०,६८,१००।२३।२,४,६,७,१०,१८,३७,५४, णोभवसिद्धियणोअभवसिद्धिय ७८,८०,१४६,१६४ से १६६,१६८,२४।१,३, (नोभवसिद्धिक नोअभवसिद्धिक) ५,८,१४,१५,२५३१,२,४,२६।१,३,२७।१,६; प १८।१२४;२८।११३,११४ ।। २८।१,३ से ५,२१ से २६,३०३८,६८,१०१, णोभवोवबातगति (नोभतोपपातगति) प १६१३७ १०२,१०४,१०६,११७,११६.१३३,१४३ से णोभवोववायगति (नोभवोपपातगति) प १६।२४, १४५; २६५ से ७,१५,१८,१६,२२३०१५ ३३ से ३७ से ७,१४,१७,२४,३११२,४,६।१,३२२२,५७ णोमालिया (नवमालिका) प ११३८१ ज २।१०% ३३।१ से ७,१६,२७,३०,३१,३४,३५,३७; ३४।१,३,५,६,१०,१३,१४,३५।२,५,७,६,११, णोमालियापुड (नवमालिकापुट) ज ४११०७ १३,१५,१७,१८,२१,३६।४,८,९,११ से १३, णोसंजतणोअसंजतणोसंजयासंजय १५,१८,२० से २२,२४,३० से ३४,३६,४३ (नोसंयतनोअसंतनोसंयतासंयत) से ४७,४६,५४,६५,६८,६६,७२ ज २०७१ प३२।१२ रइयअसण्णिआउय (नैरयिकासंज्ञ यायुष) णोसंजतणोअसंजयणोसंजतासंजय प २०१६२,६४ (नोसंतनोअसंयतनोसंतासंयत) प ३२॥४ रइयत्त (नैमिकत्वा) प १५॥१०३,१०४,१०६, णोसंजय (नोसंगत) प १८९२ १११,११५,११८,१२२,१२६,१२६,१४१, णोसंजयणोअसंजयणोसंजयासंजय ३६।१८,१६,२१,२३,२५,२६,३० से ३४,४६, (नोसं तनोअसंयतनोसंवतासंयत) रइयाउय (नैरयिकायुष) प २३।१८,३७,७८, प २८।१३१,३२॥३,६ ८०,१४६.१६६,१७०। णोसंजयासंजय (नोसंयतासंयत) प १८।६२ रतिय (नरयिक) प १०।३६ णोतणिणोअसलि (लोसंज्ञिन्नाअसंज्ञिन्) णेवच्छ (नेपथ्य) प २।४१ प १८।१२१,२८।१२०,१२१,१३४,१३६; णेवत्थ (नेपथ्य) ज ५।४३७।१०१ ३१११ से ३,५,६ णेवाण (निर्वाण) प २१६४।२० णोसुहमणोबादर (नोसुक्ष्मनोबादर) प १८।११८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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