SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1004
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ णि रइदेवता-णिव्वाणममा १२७ णिरइदेवता (निऋतिदेवता) सू १०८३ णिल्लेव (निलेप) ज २१६ णिरइयार (निरतिचार) प १११२६ णिवद्दय (निपतित) ज ३।२६,३६ णिरंतर (निरन्तर) प १०.३२ से ३४,४०,१११४१५ णिवड्ढेत्ता (निवृधा) ज ७।३० ७१:२०१२५,३१,५९,२२११३,१५,१७,१६ से णि वड्ढेमाण (निवर्धमान) ज ७।१३,१६,२२,७२, २१; ३६।८,६ ज २११५ ७८,८४ णिरय (निरय) १ २११,१०; २३।३६,८१,१११, णिवण्ण (निषण्ण) ज ७।१७८ १४६,१७१ णिवतित (निपतित) ज २।१४२ से १४५ णिरय (निरत) ज २०१३१ णिवत्त (निवृत्त) उ ३।१२६ णिरयगतिपरिणाम (नित्यगतिपरिणाम) प १३।३ -णिवय (नि--पत्) णिवयंति ज ५१६४ णिरयगतिय (निरयगतिक) प १३।१४ णिवह (निवह) ज ३।१०६ णिरयगामि (निरयगामिन् ) ज १।२२,५०,२१५८, णिवात (निपात) प ३६८१ ज २११३१ १२३,१२८,१४८,१५१,१५७;४।१०१ णिवाय (निपात) ज ३।३५,१०६ णिरयावास (निरयावास) प २२० से २४ णि विट्ठ (निविष्ट) प २०१३६ णिरवसेस (निरवशेष) प ६.६२१०।२८,१७।२८; णिवुड्ढि (निवृद्धि) सू १३।१७ २११९४,३४।२४;३६।२८,४६,६५,६६,७२ णिवुड्ढेत्ता (निवर्य) सू ६।१ णिरहंकार (निरहंकार) ज २१७० णिवुड्ढेमाण (निवर्धमान) सू ६।२ णिराणंद (निरानन्द) ज २१६०; १०३,१०६,१०८ णिवेइत्ता (निवेद्य) ज ३८१ णिरातंक (निरातङ्क) ज २।१६ इणिवेद ( निवेदय ) णिवेएइ ज ३८१,५१५८ णिरालय (निरालय) ज २१६८ णिवेदम ज ३।५ णिवेदेमो ज ३४० णिरालोय (निरालोक) ज २११३१ णिवेस (निवेश) प ११७४ ज ३१२८,३१,४१,४६, णिरावरण (निरावरण) ज २१७१,८५ ५२,११५,१३५,१४१,१५१,१६४,१६७२,१८० ‘णिरुंभ ( निरुध) णिरु भइ प ३६।६२ इणिवेस (नि वेशय) णिवेसेइ ज ५।२१,५८ णिरु भति प ३६।६२ णिवेसेत्ता (निवेश्य) ज ५१२१ णिरुभित्ता (निरुध्य) प ३६।१२ णि व्वण (निव्रण) ज २।१५,३।१७७,७।१७८ णिरुद्ध (निरुद्ध) प २३।१६३ -णिवत्त (निर्-वृत्) णिमत्तेइ सुहा२ णिव्वत्तेति प २३।१६३ सू ।१ णिरुवकिट्ठ (निरुपक्लिष्ट) ज २।४।१ थिव्वत्त (निवृत्त) ज ३।३०,४३,५१.६०,६८,७६, णिरुच्छाह (निरुत्साह) ल २।१३३ णिरुवलेव (निरुपलेप) ज ३।३ १३६,१५१,१७०,१७८,२१६ णिरुषहय (निरुपहत) ज २११५ णिवत्तणया (निवर्तन) प ३४१२,३ णिरुविग्ग (निरुद्विग्न)३।११६ णिध्वत्तणा (निर्वर्तना) प १५१५८।१,१५१६१ णिरुहा (नीरुहा) प ११४८।३ णिव्वत्तिय (निर्वतित) प २३।१३ से २३ गिरेयण (निरेजन) प ३६।६३,६४ णि व्वय (निर्वत) ज २।१३५ णिरोगय (नीरोगक) ज २३१२ णिवाघाय ( निर्याघात) प १६।५५;२११६५ णिरोह (निरोध) प ३६।६२ २८।३१ ज २०७१,८५ पिल्लज्ज (निर्लज्ज) ज २१३३ णिव्वाण मग्ग (निर्वाणमार्ग) ज २१७१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy