SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 681
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ केवल-कोक्कुइय १०६,१११,११३,११४, ११६,१२५,१२६, जी० ३।४५२ १३३,१३६,१५०; ३।५,१२,१४ से २१,३३, केसंतकेसभूमी [ केशान्तकेशभूमी ] ओ० १६. ३४,३६,४०,४२,४४,५१,६० से ६३,६६,७७, रा० २५४. जी० ३.४१५,५६६ ८०,८१,८६,१०७,१२०,१५६,१८६,१६२, केसर [केसर] रा०२५,३७,१७४. जी० ३।११८, २३८,२४३,२४७,२५०,२५६,५६४,५६५, .. ११६,२५६ २७८,२८६,३११,६४३ ५७०,७०६,७१४,७३२,७८८,५८६,७६४, केसरिदह केसरिद्रह] जी० ३।४४५ ८१२,८१५,८२३,८२७,८३२,८३४,८३५, केसरिहह [केसरिद्रह] रा० २७६ ८३६,८४४,८४७,८५०,६५३,६५४,६७२, केसरिया [केसरिका] ओ० ११७ ९७३,१००० से १००६,१०१०,१०२२,१०२७, केसलोय [केशलोच] ओ० १५४,१६५,१६६. १०७३,१०८३,१०८५,११११; ४१५,१६,१७, रा० ८१६ ५॥५,२१,२३,२४,२९,३०,७१२,६।२,४, केसव [ केशव ] जी० ३।१२६ २५,२६,३३,४६,५२ केसि [केशि] रा०६८६,६८७,६८६,६६२ से केवल [केवल] ओ० १५१,१५३,१६०,१६५, ६६७,७०० से ७०६,७११,७१३,७१४,७१६ १६६. रा० ८१२,८१४. जी० ३।१०२५ से ७२२,७३१ से ७३३,७३६ से ७३६,७४७ केवलकप्प [केवल कल्प] ओ० १६६. रा० ७. से ७८१,७८७,७६६ जी०.३८६. केसि [केशिन् ] रा० १३३. जी० ३।३०३ केवलणाण [ केवलज्ञान] ओ० ४०,१६५।१२. रा० केसुयं [किंशुक ] रा० ४५ ७३९,७४५,५४६ कोइल [कोकिल] ओ० ६. जी० ३।२७५,५६७ केवलणाणविणय [ केवलज्ञानविनय ] ओ० ४० कोउय [कौतुकं ] ओ० २०,५२,५३,६३,७०. केवलणाणि [ केवलज्ञानिन् ] ओ० २४. जी०६।१६३, रा० ६८३,६८५,६८७ से ६८६,६६२,७००, १६५,१६६,१६७,२०१,२०५,२०८ ७१६,७२६,७५१,७५३,७६५,६७४,८०२, केवलवंसणि [केवलदर्शनिनु ] जी० १।२९,८६; ८०५ ६।१३१,१३५,१३६,१४० केवलदिट्टि [केवलदृष्टि] ओ० १६५।१२ कोउयकारग [कौतुककारक] ओ० १५६ केवलनाणि [ केवलज्ञानिन् ] जी० १६१३३ कोउहल्ल [कौतुहल] जी० ३।६१६ ६।१५६,१६३ कोऊहल [कोतुहल ] ओ० ५२. रा० १५,१६.६८७, केवलपरियाग [ केवलपर्याय ] ओ० १६५ ६८६ केवलि [केवलिन् ओ० ७२,१५४,१७१,१७२. कोंच क्रौञ्च | रा० २६. जॉ० ३१२८२ रा० ७१६,७७१,७७५,८१५,८१६. कोंचणिग्घोस | क्रौञ्चनिर्घोष ] ओ०७१. रा०६१ जी० १११२६ ; ६।३६,४१,४२,४४ से ४८,५०, कोंचस्सर क्रौञ्चस्वर जी० ३३०५,५६८ ५२ से ५४ कोंचासण [क्रोञ्वासन | रा० १८१,१८३. केवलिपरियाग [ केवलिपर्याय ] ओ० १५४. ___जी० ३।२६३ रा० ८१६ कोंडलग [कोण्डलक] ओ० ६. जी० ३।२७५ केवलिसमुग्धाय [ केवलिसमुद्घात ] ओ० १६९, कोकंतिय [कोकन्तिक] जी० ३।६२० १७४. जी० १११३३ कोकासित [दे०] जी० ३।५६६ केस [केश] ओ० १३,४७,६२. रा० २८६. कोक्कुइय [कौकुचिक] ओ० ६४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy