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________________ कुसुमघरग केवतिय ६०३ कुसुमघरग [कुसुमगृहक] रा० १५२,१८३. जी० ३१२६४,८५७ कुसुमघरय [कुसुमगृहक] जी० ३१८५७ कुसुमदाम [कुसुमदामन्] जी० ३१५६१ कुसुमासव [कुसुमासव] ओ० ६. जी० ३।२७४ कुसुमित [कुसुमित ] जी० ३।५८६ कुसुमिय [कुसुमित] ओ० ५,८,१०,११. रा० १४५. जी० ३।२६८,२७४,३६०,५८४, ७०२,८०८,८२६ कुहंड [कूष्माण्ड ] ओ० ४६ कुहंडिया [कूष्माण्डो] रा० २८. जी० ३।२८१ कुहणा [कुहणा] जी० ११६६,७२ कुहर [कुहर] रा० ७६,१७ ३. जी० ३।२८५ कुहिय [कुथित ] जी० ३१८४ कूड [कूट] ओ०६३. रा० १३०, १७१. जी० ३।११६,३००,६८६,६६०,६६२ से ६६८, ७७५,८४५,६३७ कूडागार [कुटाकार] ओ० १६. जी० ३।५६४, ५६६,६०४ कूडागारसाला [ कूटाकारशाला] रा० १२३,७५५, ७७२,७८७,७८८ कूडाहच्च [कूटाहत्य] रा० ७५१,७६७ कूणिय [कूणिक ] ओ० १४,२०,२१,५३ से ५६, ६२ से ७१,८०. रा० ७७८ कुल [कूल] ओ० ११५. रा० १७४,२७६. जी० ३२८६,४४५,६३२,६३६,६६८ कूलषम्मग [कूलध्मायक ] ओ० ६४ कूवरगाह [कूपग्राह] ओ० ६४ कूवमह [कूपमह] जी० ३।६१५ कूवय [कूपक] ओ० ४६ केउ केतु] ओ०६ से ८,१०,५०. रा० १६२, १६३. जी० ३।२७५,२७६,३३५,३५५ केउकर [केतुकर] ओ० १४. रा० ६७१ केऊर [केयूर ] ओ० २१,५४,१०८,१३१. रा० ८,७१४ केकय [केकय] रा० ७०६ केतकी [ केतकी] जी० ३।२८३ केतगी [केतकी] रा० ३० केयह केकय] रा० ६६८, ६६६,६८३,७११ केमहालत [कियन्महत्] जी० ३११७६,१७८,१८२ केमहालय [कियन्महत्] जी० १३१६,३।८६ ६१, ६४,१८०,२५६,७६० से ७६२,९६६,१०८०, १०८७,१०८८ केयुय [केतुक] जी० ३।७२३ केयूर [केयूर] रा० २८५. जी० ३।४५१,५६३ केरिसग [कीदृशक ] जो० ३।६४,१११६ केरिसय [कीदृशक] रा० १७३. जी० ३।८३ से ८५,६५ से ६७,१०६,११६,११८,११६,१२२, १२३,१२८,२१८,२८३, से २८५,५७६,५९६. ५६७,६०१,६०२,६५५,६५८,६६१,१०७७ से १०७६,१०६३,१०६७ से १०६६,१११४, १११७,११२१ से ११२४ केरिसिय (कीदृशक) जो० ३३११२२ केलास [कैलाश] जी० ३।७४८,७४६,७५२,६२३ केलासा [कैलाशा] जी० ३।७५२ केली [ केली] ओ० ४६ केवइ [कियत्] जी० ११४१,१४२ केवइय [कियत्] ओ० ८६ से ६५,११४,११७, १५५,१५७ से १६०,१६२,१६७. रा० ६५५, ६६६. जी० १२५२, ३।७७,८१,२५६,७६८, ८०२,८३०,१००४,१०४२,१०६२,१०६७, १०६६; ४।३ केवचिरं [कियच्चिरम् ] रा० २०० जी० ४१७ केवच्चिरं [कियच्चिरम् ] जी० १११३६ केवति [कियत्] जी० ३।६०,१६२,१६५ से १६७, ५६६,६२६,११३१,११३६. ११३७ ; ६।१२, ५६ केवतिय [कियत्] रा० ७६८ जी० १११३७,१३८; २।२० से २४,२६ से ३०,३२ से ३६,३६,४६, ६३,६६,७३,७६,८६,८८,६२,६७,१०७ से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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