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________________ ५९६ कम्मय-करयल ७०,७२,१४७,१४६ कम्मय [कर्मक] जी० १।१५,५६,६४,७४,७६,८,२ ५,६३,१०१,११६,१२८,१३०,१३५ कम्मया [कर्मजा] रा० ६७५ ।। कम्मविउस्सग्ग [कर्मा र र्ग] ओ० ४४ कम्मसरीर [कर्म शरीर] ओः १७६. जी० ३।१२६६ कम्मसरीरि कर्मशरीरिन् ] जी० ६।१८१ कम्मार [दे०] जी० ३।११८,११६ कम्मारय [दे० ] जी० ३।६१० कम्हा [कस्मात् ] ओ० १७१. रा० ७०३. जी० ३।७२३ कय [कृत ओ० २,२०,५२,५३,५७,६२,६३,७०, १२. रा० १५,१३१,१४७,१४८,२८०,६८३, ६८५,६८७ से ६८६,६६२,७००,७१०,७१६, ७२३,७२६,७५१,७५३,७६५,७७४,७६४, ८०२,८०५. जी० ३१३०१,४४६ कय [कच ] ओ० ६३. रा० १२,२६१,२६३ से २६६,३००,३०५,३१२,३५५. जी० ३४५७ से ४६२,४६५,४७०,४७७,५१६,५२०,५५४ कयंब [कदम्ब] जी० ३१३८८ कयपडिकिरिया [कृतप्रतिक्रिया] ओ० ४० कयर [कतर ओ० १८५ से १८८, रा०६६७. जी० १११४३; ३११००७,१०२०,१०२१, १०३७,४।१६,२२,२५,५११६,२०,२६,२७, ३२ से ३६,६०, ७१२२,२३, ६७,१४,५५, २५० से २५२,२५५,२६२ कयलिघरग [कदलीगृहक ] रा० १८२,१८३. जी० ३।२६४ कयली [कदली] जी ० ३।५६७ कयवर [कचवर ] जी० ३।६२२ कया [कदा] जी० ३.२७२ कयाइ [कदाचित् ] ओ० ११६. रा० ६८०. जी० ३१५६ कयाइं [कदाचित्] रा ० ७५४ कयाति [कदाचित् रा० २०० कयावि [कदापि, कदाचित् ] जी० ३७०२ कर [कर] ओ० १५. जी० ३१५८६,५६७ कर [क]-.. करावेंति रा० ७७४.-... करिस्सइ रा० ७७१-- करिस्संति रा०८०३ -करिस्सामि रा० ७८७.--- करिस्सामो. ओ० ५२. रा०६८७.---करेइ. ओ० २१. रा० ५६. जी० ३।४६१.-करेंति. ओ० ४७. रा० १०. जी० ११२७.-करेज्ज. जी० ३।६६७. --करेज्जा . ओ० १८०. रा० १२.--.-करेति. रा० ८. जी० ३।४४३.--.-करेमि. रा० ७६४. करेस्संति.रा०८०२. –करेह.रा० ६.- करेहि. ओ० ५५. रा०६६५.-करेहिति. ओ० १४४. —करेहिति ओ० १५४. रा०८१६. -कारवेति. रा० १२... कारवेह. रा० ६. कारवेहि. ओ० ५५. -काहिति. ओ० १४४. -कीरइ. ओ० १५४. रा० ७६७ करंडग [करण्डक] ओ० ११७. रा० ७६६ करकंट [करकण्ट ] ओ०६६ करग [करक] जी० ३१५८७ करड [क रट] रा० ७७ करडी करटी] जी० ३।५८८ करण [करण] ओ० १६,२५.४६,६३,१४४,१४५, १६१,१६३. रा० ७६,१७३,६८६,८०२,८०३, ८०५. जी० ३।२८५,५६६,८५४ करणओ [करणतस् ] ओ० १४५. रा० ८०६,८०७ करणया [करणता] ओ० १७१ करणिज्ज करणीय] रा० ११,५६,२७५,२७६. जी० ३।४४१,४४२ करतल [करतल] रा० २४. जी० ३।२७७,४४५, ४४६,४४८,४५८ से ४६२,४६५,४७०,४७७, ५१६,५२०,५५४,५५५ करभरवित्ति [करभरवृत्ति] रा० ६७१,७०३,७१८, ७५०,७५१ करय [करक] जी० ११६५ करयल [करतल] ओ० १५,२०,२१,५३,५४,५६, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003554
Book TitleUvangsuttani Part 04 - Ovayiam Raipaseniyam Jivajivabhigame
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1987
Total Pages854
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size17 MB
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