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________________ छट्ठ अभियणं (नंदिवद्धणे) ७६६ १४. तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे उट्टियानो- अप्पेगइयाओ आसमुत्त भरियायो, अप्पेगइयायो हत्थिमुत्तभरियायो, अप्पेगइयाो उट्टमुत्तभरियायो, अप्पेगइयानो गोमुत्तभरियायो, अप्पेगइयायो महिसमुत्तभरियानो, अप्पेगइयायो अयमुत्तभरियाओ, अप्पेगइयानो एलमुत्तभरियानो-बहुपडिपुण्णासो चिट्ठति ।। १५. तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे हत्थंडुयाण य पायंडुयाण य हडीण' य नियलाण य संकलाण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता' चिट्ठति ।। १६. तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे वेणुलयाण' य वेत्तलयाण य चिचाल याण य छियाण य कसाण य वायरासीण' य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठति ॥ १७. तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे सिलाण य लउडाण य मोग्गराण य कणंगराण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठति ।। १८. तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे तंतीण य वरत्ताण य वागरज्जण य वालयसुत्तरज्जूण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठति ॥ १६. तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे असिपत्ताण य करपत्ताण य खुरपत्ताण य कलंबचीरपत्ताण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिटुंति ॥ २०. तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे लोहखीलाण य कडसक्कराण य चम्मपट्टाण य अलीपट्टाण' य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिटुंति ।। २१. तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे सूईण य डंभणाण य कोट्टिल्लाण य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिट्ठति ।। २२. तस्स णं दुज्जोहणस्स चारगपालस्स बहवे सत्थाण" य पिप्पलाण य कुहाडाण य नहच्छेयणाण य दब्भाण" य पुंजा य निगरा य संनिक्खित्ता चिटुंति ।। २३. तए णं से दुज्जोहणे चारगपाले सीहरहस्स रण्णो बहवे चोरे य पारदारिए य गंठिभए य रायावकारी य अणहारए" य बालघायए य विस्संभघायए य जइगरे५ विद्यते। १. हढीण (क)। घटाण (हस्त० वृ)। २. संनिकिट्ठा (क)। १०. कोडिल्लाण (ख)। ३. वेलुलयाओ (ग)। ११. एकस्यां हस्तलिखितवृत्तौ 'पच्छाण' इति ४. वेत्तलयाओ (ग)। ५. पादरासीण (क)। १२. कुठाराण (ग)। ६. लउलाण (वृ)। १३. दब्भणाण (ख); डब्भणाण (ग); दन्भ७. कणगराण (ख, ग, घ); काणंगराण (वृपा)। तिणाण (घ)। ८. तंताण (ख)। १४. अणधारए (क, घ)। ६. अलाण (क); अलपडाण (ग); अल्लपल्लाण १५. जूयिकरे (क); जूयगरे (ख, ग) : (मुद्रित वृ); अलीण (हस्त० वृ); अली Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003553
Book TitleAngsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages922
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size15 MB
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