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________________ तच्चो वग्गो-पढमं अज्झयणं (धण्णे) ६२७ सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मंससोणियत्ताए ° ॥ धण्णस्स णं अणगारस्स उट्ठाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहानामए सुक्कजलोया इ वा सिलेस-गुलिया इ वा अलत्त'-गुलिया इ वा, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स उट्ठा सुक्का लुक्खा निम्मंसा चम्म-छिरत्ताए पण्णायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए ° । ४७. धण्णस्स णं अणगारस्स जिब्भाए अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहानामए वडपत्ते इ वा पलासपत्ते' इ वा सागपत्ते इ वा, एवामेव 'धण्णस्स अणगारस्स जिब्भा सुक्का लुक्खा निम्मंसा चम्म-छिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए ° ॥ ४८. धण्णस्स णं अणगारस्स नासाए अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहा नामए अंबगपेसिया इ वा अंबाडगपेसिया इ वा माउलुंगपेसिया इ वा तरुणिया •छिण्णा आयवे दिण्णा सुक्का समाणी मिलायमाणी चिट्ठइ, एवामेव धण्णस्स अणगारस्स नासा सुक्का लुक्खा निम्मंसा अट्ठि-चम्म-छिरत्ताए पण्णायति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए ° | ४६. धण्णस्स णं अणगारस्स अच्छीणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था से जहा नामए वीणाछिद्दे इ वा वद्धीसगछिद्दे इ वा पाभाइयतारिगा' इ वा, एवामेव" 'धण्णस्स अणगारस्स अच्छीओ सुक्कामो लुक्खायो निम्मंसानो अट्टि-चम्म छिरत्ताए पण्णायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए । ५०. धण्णस्स णं अणगारस्स कण्णाणं अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहानामए मूलाछल्लिया इ वा वालुंकछल्लिया इ वा कारेल्लयछल्लिया" इवा, एवामेवर 'धण्णस्स अणगारस्स कण्णा सुक्का लुक्खा निम्मंसा चम्म छिरत्ताए पण्णायंति, नो चेव णं मंस-सोणियत्ताए ॥ ५१. धण्णस्स णं अणगारस्स सीसस्स अयमेयारूवे तव-रूव-लावण्णे होत्था-से जहा नामए तरुणगलाउए इ वा तरुणगएलालुए इ वा सिण्हालए" इ वा तरुणए" १. अलत्तग (ग)। ८. सं० पा०–एवामेव । २. सं० पा०-एवामेव । ६. केसाणं (क)। ३. X (क): पलासपत्ते इ वा (ग); उंबरपत्ते १०. बालंका (क)। (घ)। ११. क्वचिच्च नीतिपदं दृश्यते न चावगम्यते (वृ)। ४. सं० पा०-एवामेव । १२. सं० पा०-एवामेव । ५. सं० पा०-तरुणिया ० एवामेव । १३. पिण्हालुए (क्व)। ६. पव्वीस ° (क, ख)। १४. स० पा०-तरुणए जाव चिट्ठइ । ७. पभयातारगा (७); पाभाइयतारा (वृपा)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003553
Book TitleAngsuttani Part 03 - Nayadhammakahao Uvasagdasao Antgaddasao Anuttaraovavai Panhavagarnaim Vivagsuya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages922
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size15 MB
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