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दसम अज्झयण (लेइयापिता)
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पच्चवखाण-पोसहोववासे हि अप्पाणं भावमाणस्स चोद्दस संवच्छ राई वीइक्कंताई पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था -एवं खलु अहं सावत्थीए नयरीए बहूणं जाव पापुच्छणिज्जे पडिपूच्छणिज्जे सयस्स वि य णं कुडुंबस्स मेढी जाव' सव्वकज्जवड्ढावए, तं एतेणं वक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवग्रो
महावीरस्स अंतियं धम्मपण्णत्ति उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए॥ १६. तए णं से लेतियापिता समणोवासए जेट्टपुत्तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि
परिजणं च आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सयाओ गिहाम्रो पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता सावत्थि नरि मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव पोसहसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसाल पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चार-पासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दब्भसंथारयं संथरेइ, संथरेत्ता दब्भसंथारयं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी उम्मुक्कमणिसुवण्णे ववगयमालावण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थमुसले एगे अबीए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्मपण्णत्ति उवसंपज्जित्ता णं
विहरइ॥ लेतियापियस्स उवासगपडिमा-पदं २०. तए णं से लेतियापिता समणोवासए पढमं उवासगपडिम उवसंपज्जित्ता णं
विहरइ॥ २१. तए णं से लेतियापिता समणोवासए पढम उवासगपडिमं अहासुत्तं महाकप्पं
अहामग्गं अहातच्चं सम्मं काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ आराहेइ ।। २२. तए णं से लेतियापिता समणोवासए दोच्चं उवासगपडिम, एवं तच्चं, चउत्थं,
पंचम, छटुं, सत्तमं, अट्ठमं, नवमं, दसमं एक्कारसमं उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्म काएणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ कित्तेइ
आराहेइ॥ २३. तए णं से लेतियापिता समणोवासए तेणं अोरालेणं विउलेणं पयत्तेणं
पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठिचम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए
किसे धमणिसंतए जाए। लेतियापियस्स अणसण-पदं २४. तए णं तस्स लेतियापियस्स समणोवासगस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकाल
३. पू०-उवा० ११५७-५६ ।
१. उवा० १६१३। २. उवा० १११३ ।
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